इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है / दुष्यंत कुमार
हो गई है पीर पर्वत / दुष्यंत कुमार
कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये / दुष्यंत कुमार
क्या बताऊं कैसा ख़ुद को दर-ब-दर मैंने किया / वसीम बरेलवी
क्या दुःख है, समंदर को बता भी नहीं सकता / वसीम बरेलवी
आते आते मेरा नाम / वसीम बरेलवी
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