सभी को पोंगल और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं
जिसको जैसे मिले राम जी उसने वैसे पाए। जब-जब नैया फँसी भंवर में, तब-तब पार लगाए। वह सतयुग का दौर आज कलयुग में भी भरमाए। खाली हांड़ी चढ़ी चूल्हे में किससे आग जलाए । दाल-भात का स्वाद याद कर पति-पत्नी मुस्काए। पानी तक बेमोल कहाँ, फिर कैसे पोंगल खाए ।
nice
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