Sep 30, 2009

प्रबोध पाठ्यक्रम : परीक्षा नोट्स

हम अपने वादे के मुताबिक प्रबोध पाठ्यक्रम के नोट्स यहाँ दे रहे है। इन्हें राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय , हिन्दी शिक्षण योजना की परीक्षा की दृष्टि से अंतिम रूप दिया है श्रीमती चित्रा कृष्णन एवं श्रीमती रमा पी अयंगार ने। ये नोट्स विशेष रूप से दक्षिण भारतीय भाषा-भाषियों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं अत: हिन्दी भाषियों को इनमें कुछ कुछ अटपटापन महसूस हो सकता है ।
- प्रतिभा मलिक / अजय मलिक

DEVANAGARI स्क्रिप्ट/लिपि में लिखिए
Agreement
एग्रीमेंट
Join
ज्वाइन
Asia
एशिया
Judgement
जजमेन्ट
Advance
अड्वान्स
Justice
जस्टिस
Authority
ऑथरिटी
Lift
लिफ्ट
Allotment
अलॉटमेंट
Light
लाइट
Annual
एनुअल
Level
लेवल
Bank
बैंक
Labour
लेबर
Balance
बैलेंस
Lien
लियन
Bill
बिल
Meeting
मीटिंग
Bouncer
बाउन्सर
Medium
मीडियम
Bonus
बोनस
Model
मॉडल
Computer
कम्प्यूटर
Maximum
मैक्सिमम
Canteen
कैन्टीन
Museum
म्यूज़ियम
College
कालेज
National
नेशनल
Commentary
कमेन्ट्री
Noting
नोटिंग
Cyber City
साईबर सिटी
Number
नंबर
Colony
कालोनी
Northern
नार्दन
Century
सेन्चुरी
Normal
नार्मल
Conference
कान्फरेन्स
Overtime
ओवरटाइम
Chemical
कैमिकल
Outing
आउटिंग
Department
डिपार्टमेन्ट
Order
आर्डर
Driving
ड्राइविंग
Ordinance
ऑर्डिनन्स
Dispensary
डिस्पेन्सरी
Official
ऑफिशियल
Drawing Room
ड्राईंग रूम
practical
प्रैक्टिकल
Director
डायरेक्टर
Pragramme
प्रोग्राम
Duty
ड्यूटी
Posting
पोस्टिंग
Deputation
डेपुटेशन
Property
प्रॉपर्टी
Engineer
इंजिनीयर
Pay Fixation
पे फ़िक्सेशन
Earned Leave
अर्न्ड लीव
Permission
पर्मिशन
Environment
एन्वाइरमेंट
Problem
प्रॉब्लम
Furniture
फर्नीचर
picnic
पिकनिक
Fridge
फ्रिज़
pavilion
पैविलियन
Film
फ़िल्म
Quarter
क्वार्टर
festival
फेस्टिवल
Quatation
क्वोटेशन
File
फ़ाइल
Query
क्वेरी
Flats
फ्लैट्स
Recover
रिकवर
Government
गवर्नमेन्ट
Region
रीजन
Gurantee
गारन्टी
Register
रजिस्टर
Glucose
ग्लूकोस
revenue
रेवेन्यू
Human
ह्यूमन
Receipt
रिसिप्ट
Height
हाइट
Reservation
रिज़र्वेशन
Icecream
आईस क्रीम
Railway
रेलवे
Increment
इंक्रीमेंट
Station
स्टेशन
Information
इन्फर्मेशन
Screen
स्क्रीन
Income Tax
इन्कम टैक्स
Shooting
शूटिंग
Speech
स्पीच
X-Ray
एक्सरे
staff
स्टाफ़
X-Mas
एक्समस
Sanction
सैंक्शन
Public
पब्लिक
Statement
स्टेटमेन्ट
Tour
टूर
Training
ट्रेनिंग
Television
टेलीविजन
Taxi
टैक्सी
Work
वर्क
Travel
ट्रैवल
Advance
अडवान्स
Typing
टाइपिंग
Agree
एग्री
Teaching
टीचिंग
Administration
अड्मिनिस्ट्रेशन
Technology
टेक्नोलाजी
Assistant
असिस्टेन्ट
University
यूनिवर्सिटी
Board
बोर्ड
Union
यूनियन
Border
बार्डर
Universal
यूनिवर्सल
Budget
बजट
Uniform
यूनिफार्म
Commission
कमीशन
Vitamin
विटामिन
Correspondence
करेस्पान्डेन्स
Van
वैन
Case
केस
Cooler
कूलर
Transfer
ट्रांसफर
Clerk
क्लर्क
Special
स्पेशल
Tax
टैक्स
Godown
गोडाउन
Guest House
गेस्ट हाउस

High                -      हाई

Junior              -     जूनियर         

Public              -     पब्लिक

Shorthand      -     शॉर्टहैंड

Stadium          -     स्टेडियम

Studio             -     स्टूडियो

Stethoscope   -     स्टेथोस्कोप

Southern        -     सदर्न

Village             -     विलेज

Visit                 -     विजिट

Writing           -     राइटिंग

Watch             -      वॉच

SYNONYMS & USE IN HINDI SENTENCES

रोज़,प्रतिदिन,रोज़ाना
Daily
मैं रोज़ / प्रतिदिन हिंदी पढ़ता हूं।
बेटी - पुत्री
Daughter
मेरी बेटी / पुत्री सुंदर है।
बेटा - पुत्र
Son
मेरा बेटा / पुत्र सुंदर है।स्कूल - पाठशाला / विद्यालय
School
यह स्कूल है।इजाज़त - अनुमति
Permission
मुझे इजाज़त / अनुमति दीजिए।
धन्यवाद - शुकिया
Thanks
बहुत-बहुत धन्यवाद।
चित्र - तस्वीर
Painting
चित्र / तस्वीर सुंदर है।
भोजन करना - खाना खाना
Eat
आप भोजन कीजिए / खाना खाइए।
कीमत - दाम / मूल्य
Price
आप कीमत/ दाम बताइए।
ग्राहक - खरीददार
Customer
यहॉ ग्राहक / खरीददार नहीं आते।
साल - वर्ष
Year
साल / वर्ष में बारह महीने हैं।मगर - लेकिन,पर
But
वह पढ़ता है मगर / लेकिन पास नहीं होता।
ठंड़ - सर्दी
Cold
यहॉ ठंड / सर्दी अधिक है।
मित्र - दोस्त
Friend
मेरा दोस्त / मित्र अच्छा है।
इंतज़ाम - प्रबंध / व्यवस्था
arrangement
बैठक के लिए प्रबंध / व्यवस्था करें।
बारिश - वर्षा / बरसात
Rain
बारिश / वर्षा का मौसम है।
आकाश - आसमान
Sky
आकाश / आसमान में बादल है।
ज़रूरत - आवश्यकता
Necessity
यहॉं पानी की आवश्यकता / ज़रूरत है।
दृश्य - नज़ारा
Scenery
वह दृश्य / नज़ारा सुंदर है।
असमर्थ - लाचार, अशक्य
Unable
मैं वहॉ जाने में असमर्थ / लाचार हूं।
उत्साह - जोश
Enthusiasm
उत्साह / जोश से काम करो।
ध्वज - झंडा
Flag
हमारा ध्वज तिरंगा है।
सुबह - सबेरे
Morning
सुबह / सबेरे से बुखार है।
रविवार - इतवार
Sunday
आज रविवार / इतवार है।
विद्यार्थी - छात्र
Student
मैं विद्यार्थी / छात्र हूं।
तय करना - निश्चित करना
Fix
शादी की तारीख तय / निश्चित करें।
यानी - अर्थात
That is
आज यानी / अर्थात दिनांक 18.8.08 को मैं वहॉं गया।
स्वास्थ्य - तंदुरुस्ती
Health
मेरा स्वास्थ्य / मेरी तंदुरुस्ती ठीक है।
क्षमा - माफ़
Forgive
मुझे माफ़ / क्षमा करें।
खुशी से - प्रसन्नता से
happily
त्यौहार खुशी / प्रसन्नता से मनाऍं ।
यूनिवर्सिटी - विश्वविद्यालय
University
वह यूनिवर्सिटी / विश्वविद्यालय में पढ़ता है।
शादी - विवाह
Marriage
शादी / विवाह की तारीख निश्चित करें।
नाच - नृत्य
Dance
मोर नाचता है/ मोर नृत्य करता है।
सड़क - मार्ग, रास्ता
Street
सड़क / मार्ग साफ़ है।
लौटना - वापस आना
Return
घर लौट / वापस आइए।
दर्शनीय - देखनेलायक
Worth seeing
दिल्ली दर्शनीय / देखनेलायक शहर है।
रुकना - ठहरना
stay, Stop
रुको/ ठहरो, मत जाओ।
दिक्कत - कठिनाई
Problem
आपको क्या दिक्कत / कठिनाई है।
सप्ताह - हफ़ता
Week
सप्ताह / हफते में सात दिन है।
सुंदर - खूबसूरत
Beautiful
वह सुंदर / खूबसूरत है।
तट - किनारा
Bank, Shore
चेन्नै में समुद्र का किनारा / तट है।
आनंद - खुशी
Happiness
मुझे आनंद हुआ / खुशी हुई।
अक्सर - प्राय:
Mostly
वह अक्सर / प्राय: ताश खेलता है।
समुद्र - सागर
Sea
चेन्नै में समुद्र / सागर का तट है।
अंदर - भीतर
Inside
अंदर / भीतर जाइए।
वजह - कारण
Reason
छुट्टी का कारण / की वजह क्या है।
प्रदर्शनी - नुमाइश
Exhibition
दिल्ली में प्रदर्शनी / नुमाइश लगी है।
कोशिश - प्रयत्न
Effort,Try
कोशिश करो , फल पाओ।
बादशाह - राजा
Emperor
अकबर भारत के बादशाह / राजा थे।
सवाल - प्रश्न
Question
प्रश्न का उत्तर दें।
मौज़ूद - उपस्थित
Present
मैं यहॉं मौज़ूद / उपस्थित हूं।
जवाब - उत्तर
Reply
गुल - फूल , सुमन, पुष्प
Flower
फूल / पुष्प सुंदर है।
हैरान - आश्चर्य
Surprised
आप हैरान क्यों है। आश्चर्य क्यों करते हैं।
आवाज़ - स्वर
Voice,Sound
उसकी आवाज़ / आपका स्वर अच्छा है।
ज़बान - जीभ, जिह्वा
Tongue
ज़बान संभालकर बात कीजिए।
मेहमान - अथिति
Guest
मैं यहॉं अथिति हूं।
रिश्तेदार - संबंधी
Relative
वह मेरा रिश्तेदार / संबंधी है।
आदमी - पुरुष
Man
वह आदमी / पुरुष अच्छा है।
आखरी - अंतिम
Final
आखरी / अंतिम जवाब ठीक है।
बाकी - शेष
Balance
बाकी / शेष काम पूरा करो।
भाग्य - किस्मत
Fate
भाग्य अच्छा है / किस्मत अच्छी है।
आतिथ्य - मेहमानबाजी
Hospitality
आथित्य / मेहमानबाजी के लिए धन्यवाद।
निमंत्रण - बुलावा
Invitation
निमंत्रण / बुलावा आ गया।
समृद्धि - खुशहाली
Prosperity
जीवन में समृद्धि आवश्यक है।
खुद - स्वयं
Self
स्वयं / खुद जाकर देखो।
दफ़तर - कार्यालय
Office
दफ़तर / कार्यालय जाइए।
आचरण - व्यवहार
Behaviour
उसका आचरण / व्यवहार ठीक नहीं है।
प्रयास - प्रयत्न
Effort, Try
प्रयास / प्रयत्न करें।
तारीफ़ - प्रशंसा
Praise
तारीफ़ / प्रशंसा करना सीखें।
स्वस्थ - तंदुरुस्त
Healthy
मैं स्वस्थ / तंदुरुस्त हूॅं।
खबर - समाचार
News
खास खबर / समाचार सुनो।
फ़ासला - दूरी
Distance
यह फ़ासला / दूरी अधिक है।
दवाखाना - चिकित्सालय
Dispensary
यहॉं दवाखाना / चिकित्सालय कहॉं है

ANTONYMS & USE IN HINDI SENTENCES
कभी - कभी * रोज़
Sometimes
मैं रोज़ / कभी कभी पढ़ता हूं।
दिन * रात
Day * Night
आज का दिन / की रात अच्छा है।
सुबह * शाम
Morning
वह सुबह शाम खेलता है।
इधर * उधर
Here * There
इधर उधर न जाओ।
देना * लेना
Give * Take
पैसे दो / लो।
छोटा * बड़ा
small * Big
यह घर छोटा / बड़ा है।
अपना * पराया
Self * Others
पराया दुख अपना दुख है।
लीजिए * दीजिए
Take * Give
किताब लीजिए / दीजिए।
महॅगा * सस्ता
Costly * Cheap
यह कपड़ा महॅगा / सस्ता है।
अच्छा * बुरा
Good * Bad
राम अच्छा / बुरा लड़का है।
बढ़िया * घटिया
Excellent * Bad
यह ब़़ढिया / घटिया काम है।
गर्मी * सर्दी
summer*Winter
यहॉ सदी / गर्मी है।
ठीक * गलत
Correct * Wrong
यह काम ठीक / गलत है।
हल्का * भारी
Light * Heavy
यह चीज़ भारी / हल्की है।
शुरु करना * खत्म करना
Start * Finish
काम शुरु / खत्म करो।
पक्का * कच्चा
Perfect * Imperfect
आम कच्चा / पक्का है।
तकलीफ़ * आराम
Difficulty * Relax
आपको क्या तकलीफ़ है।मुझे आराम करने दो।
तेज़ * धीरे, मंद
Speed * Slow
गाड़ी तेज़ / धीरे चलती है।
पास * दूर
Near * Far
घर यहॉ से पास / दूर है।
चैन *बेचेन
Relaxed * Restless
चैन से सोओ / मैं बेचैन हूं।
सरकारी *गैर सरकारी
Govt * Private
यह सरकारी / गैर सरकार कंपनी है।
ताज़ी * बासी
Fresh * stale
सब्जी ताज़ी / बास़ी है।
समर्थ * असमर्थ
Able * Unable
मैं यह काम करने मे समर्थ / असमर्थ हूं।
आवश्ययक * अनावश्यक
Necassary * Un
आवश्यक काम करो / अनावश्यक काम न करो।
ज़रूरी * गैर ज़रूरी
* Unnecessary
यह ज़रूरी / गैर ज़रूरी काम है।
आकाश * पाताल
Sky *
आकाश उ पर है / पाताल नीचे है।
लघु * विशाल, दीर्घ
Small * Long
इस अक्षर मे लघू / दीर्घ की मात्रा लगनी है।
प्रारंभ * अंत
Start * End
काम प्रांरभ हो गया / अंत में क्या हुआ।
उत्साहित * हतोत्साहित
Encouraged *
Diacouraged
सभी को उत्साहित करें / किसी को हतोत्साहित न करें।
पहुंचना * निकलना
Reach * Set Out
मैं घर पहुंचा / घर से निकला ।
खूब * थोड़ा, कम
Much * Less
खूब / कम काम करो।
निजी * सरकारी,सार्वजनिक
Private * Govt
यह एक निजी / सरकारी कंपनी है।
देश * विदेश
ये देश विदेश के खिलाड़ी हैं।
स्वस्थ * अस्वस्थ
Healthy * Unhealth
मैं स्वस्थ / अस्वस्थ हूं।
पूरा * आधा, अधूरा
Complete * Incomp
पूरा काम करो / आधा अधूरा काम न करें।
साफ़ * गंदा
Neat * Dirty
यह सड़क साफ़ / गंदा है।
उत्तर * दक्षिण
North * South
मैं उत्तर / दक्षिण भारत मे रहता हॅू।
पूर्व * पश्चिम
East * West
मैं पूर्व / पश्चिम भारत में रहता हॅूं।
उॅंचा * नीचा
High * Low
उॅंचे लोग नीचा काम नहीं करते।
सुंदर * कुरूप, बदसूरत
Beautiful Ugly
वह सुंदर / कुरूप है।
अक्सर * कभी कभी
Often At Times
वह अक्सर / कभी कभी खेलता है।
पहाड़ी * मैदानी
hilly Plains
यह पहाड़ी / मैदानी इलाका है।
सुविधा * असुविधा
Convenient
यहॉं सुविधा / असुविधा कम है।
जल * थल
Water * Land
जल में मत बैठो / थल में बैठो।
अगला * पिछला
Next * Previous
अगली बैठक कब है / पिछली बैठक कब थी ।
मेहमान * मेज़बान
Guest * Host
मैं यहॉ मेहमान / मेज़बान हूं।
उपस्थित * अनुपस्थित
Present * Absent
मैं बैठक में उपस्थित / अनुपस्थित था।
अंतिम * पहला
Final * First
पहला / अंतिम उत्तर ठीक है।
प्रसन्नता * अप्रसन्नता
Happiness
मुझे प्रसन्नता / अप्रसन्नता हुई।
पुराना * नया
Old * New
यह घर नया / पुराना है।
आगमन * प्रस्थान
Arrival * Depature
गाडी के आगमन / प्रस्थान का समय क्या है।
आदर * अनादर
Respect * Disrespect
बड़ों का आदर करें / किसी का अनादर न करें।
भाग्य * दुर्भाग्य
Fortune * Mis
भाग्य अच्छा है / दुर्भाग्य से यह घटना घटी।
मुश्किल * आसान
Difficult * Easy
यह काम आसान / मुश्किल है।
पहले * बाद में
First * Later
पहले पढ़ो, बाद में लिखो।
शांति * अशांति
Peace * Restless
यहॉं शांति / अशांति है।
शत्रु * मित्र
Enemy * Friend
वह मेरा शत्रु / मित्र है।
अमीर * गरीब
Rich * Poor
वह अमीर / गरीब है।
दुख * सुख, आनंद, उल्लास
sad * Happiness
मित्र सुख दुख में साथ देते हैं।
आधुनिक * प्राचीन, पुरातन
Modern * Ancient
यह आधुनिक / प्राचीन मंदिर है।
संतोष * असंतोष
Satisfaction * Dissatisfaction
मुझे संतोष / असंतोष हुआ ।
मान * अपमान
Respect * Disrespect
सभी का मान करें/ किसी का अपमान न करें ।
जटिल * आसान
Complicated * Easy
यह जटिल / आसान काम है।
विशेष * सामान्य
Special * Ordinary
यह विशेष / सामान्य कार्यकम है।
शारीरिक * मानसिक
Physical * Mental
मुझे शारीरिक / मानसिक कष्ट हुआ।
स्वर्ग * नरक
स्वर्ग नरक किसी ने नहीं देखा।
बीमारी * तंदुरुस्ती
Illness* Healthy
राम को बीमारी है। तंदुरुस्ती केलिए पौष्टिक खाना खाना चाहिए।
प्रदूषण * साफ़ , स्वच्छ
Pollution * Clean
जल को प्रदूषित न करें।स्वच्छ पानी पिओ।

TEXUAL QUESTION & ANSWERS

1. गोपाल वर्मा कौन है ?
Ans. गोपाल वर्मा हिंदी प्राध्यापक हैं।
2. कविता कहॉं काम करती है ?
Ans. कविता गृह मंत्रालय में काम करती है।
3. कविता किस पद पर काम करती है ?
Ans. कविता सहायक के पद पर काम करती है।
4. अहमद कहॉ काम करता है ?
Ans. अहमद केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में काम करती है।
5. शीला किसके साथ रहती है ?
Ans. शीला राधा के साथ रहती है।
6. अहमद कहॉं रहता है ?
Ans. अहमद तिलक नगर में रहता है।
7. दिनेश क्या करता है ?
Ans. दिनेश बी.ए में पढ़ता है।
8. शीला दोपहर का खाना कहॉं खाती है ?
Ans. शीला दोपहर का खाना केंटीन में खाती है।
9. शीला शाम को क्या सीखती है ?
Ans. शीला शाम को कम्प्यूटर सीखती है।
10. राधा कार्यालय कैसे जाती है ?
Ans. राधा कार्यालय कार से जाती है।
11. शीला सुबह कितने बजे उठती है ?
Ans. शीला सुबह छह बजे उठती है।
12. सरला के पति कहॉं काम करती है ?
Ans. सरला के पति पोलर कंपनी में मैनेजर है।
13. सरला की बेटियॉं क्या सीखती हैं ?
Ans. सरला की बेटियॉं कंप्यूटर और संगीत सीखती हैं।
14. सरला की बेटियॉं कहॉं पढ़ती हैं ?
Ans. सरला की बेटियॉं जवाहर विद्यालय में पढ़ती हैं।
15. सरला की बेटियॉं संगीत सीखने कब जाती हैं ?
Ans. सरला की बेटियॉं संगीत सीखने छ: बजे जाती हैं।
16. श्री वर्मा किस कार्यालय में हैं ?
Ans. श्री वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट में हैं।
17. वरुण क्या - क्या सीखता है ?
Ans. वरुण तैराकी और चित्रकारी सीखता है।
18. वरुण किस स्कूल में पढ़ता है ?
Ans. वरुण मार्डन स्कूल में पढ़ता है।
19. गणेशन की पत्नी का नाम क्या है ?
Ans. गणेशन की पत्नी का नाम लता है।
20. भूषण कौन है ?
Ans. भूषण रमेश का बेटा है।

21. रमेशजी के घर कौन आए है ?
Ans. रमेशजी के घर गोपाल और लता आए है ।
22. भूषण कौन सा एलबम दिखाता है ?
Ans. भूषण अपने जन्म दिन का एलबम दिखाता ह ।
23. गणेशन किसे जन्म दिन पर बुलाते है ?
Ans.गणेशन रमेश, सीमा,और भूषण को जन्म दिन पर बुलाते है ।
24. जन्मदिन का कार्यकम कितने बजे है ?
Ans. जन्मदिन का कार्यकम सात बजे है ।
25. रंगनाथन देरी से आने के लिए क्या कहते है ?
Ans. रंगनाथन देरी से आने के लिए माफी मांगते है ।
26. सुषमा किस बात पर खुश होती है ?
Ans.जयश्री को स्वस्थ देखकर सुषमा खुश होती है ।
27. पना किससे बनाया जाता है ?
Ans. पना कच्चे आम से बनाया जाता है ।
28. सुषमा को कौन सा व्यंजन पसंद है ?
Ans. सुषमा को दक्षिण भारतीय व्यंजन पसंद है।
29. अरहर की दाल कहॉं ज़्यादा पसंद की जाती है ?
Ans. अरहर की दाल उत्तर प्रदेश में ज़्यादा पसंद की जाती है ।
30. ग्राहक ने क्या - क्या सामान खरीदा ?
Ans. ग्राहक ने टूथ पेस्ट, साबुन,कपड़े धोने का पाउडर आदि सामान खरीदा ।
31. हमाम साबुन के साथ क्या मुफत मिलता है ?
Ans. हमाम साबुन के साथ एक साबुनदानी मुफत मिलता है ।
32. कपड़े धोने का सबसे अच्छा पाउडर कौन - सा है ?
Ans. कपड़े धोने का सबसे अच्छा पाउडर निरमा है ।
33. दुकानदार के यहॉं क्या नहीं मिलता ?
Ans. दुकानदार के यहॉं चाय नहीं मिलती ।
34. गर्मी में लोग कहॉं जाना चाहते हैं ?
Ans. गर्मी में लोग पहाड़ी स्थान पर जाना चाहते हैं ।
35. कौसानी किसका जन्म स्थान है ?
Ans. कौसानी कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म स्थान है ।
36. भारत का स्विटजरलैंड किसे कहते हैं ?
Ans. भारत का स्विटजरलैंड कोसानी को कहते हैं ।
37. लेखक कोसानी कैसे जा रहे हैं ?
Ans. लेखक कोसानी टैक्सी से जा रहे हैं ।
38. लेखक अलमोडा किससे जा रहे है ?
Ans. लेखक अलमोडा टैक्सी से जा रहे हैं ।
39. पति - पत्नी अपने साथ क्या क्या चीज़ें ले जा रहे हैं ?
Ans. पति - पत्नी अपने साथ स्वेटर, ऊनी शाल छतरी आदि चीज़ें ले जा रहे हैं ।
40. मोहन को क्या तकलीफ है ?
Ans. मोहन को बुखार और खॉसी है ।
41. डॉक्टर सी.जी.एच.एस डिस्पेन्सरी जाने की सलाह क्यों देते हैं?
Ans. एक्सरे लेने के लिए डॉक्टर सी.जी.एच.एस डिस्पेन्सरी जाने की सलाह देते हैं ।
42. डॉक्टर साहब मोहन को क्या खाने - पीने को कहते हैं ?
Ans. डॉक्टर साहब मोहन को फल, सब्जी,और दूध लेने को कहते हैं ।
43. मोहन को दवाऍं कब - कब देनी है ?
Ans. मोहन को दवाऍं चार - चार घंटे के अंतराल में देनी है ।
44. आप किसका ऑंखोंदेखा हाल सुन रहे है ?
Ans. हम भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जा रहे चौथे एक दिवसीय किकेट मैच का ऑंखों देखा हाल सुन रहे है ।
45. भारत इंग्लैंड को कितने रनों का पीछा कर रहा है ?
Ans. भारत इंग्लैंड के 325 रनों का पीछा कर रहा है ।
46. लार्ड्स में कैसा दृश्य प्रतीत हो रहा है ?
Ans. लार्ड्स में लघु भारत का दृश्य प्रतीत हो रहा है ।
47. रेणु आजकल क्या सीख रही है ?
Ans. रेणु आजकल चित्रकारी सीख रही है ।
48. मीरा कौन-सा उपन्यास पढ़ रही है ?
Ans. मीरा भीष्म साहनी का तमस उपन्यास पढ़ रही है ।
49. मोहन कौन सी भाषा सीख रहा है ?
Ans. मोहन बंगला भाषा सीख रहा है ।
50. मोहन किसकी तैयारी कर रहा है ?
Ans. मोहन संगीत प्रतियोगिता में भाग लेने की तैयारी कर रहा है ।
51. सब लोग पिकनिक पर कब और कहॉं जाऍंगे ?
Ans. सब लोग पिकनिक पर अगले रविवार को सूरतकुंज जाऍंगे
52. सब लोग पिकनिक पर जाकर क्या क्या करेंगे ?
Ans. सब लोग पिकनिक पर जाकर घूमेंगे खेलेंगे और गाना गाऍंगे।
53. मुखर्जी किस यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं ?
Ans. मुखर्जी नागपूर यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं।
54. शार्टहैंड को हिंदी में क्या कहते हैं ?
Ans. शार्टहैंड को हिंदी में आशुलिपि कहते हैं।
55. मुखर्जी विदेश क्यों नहीं जाना चाहते ?
Ans. अपने पिताजी का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण मुखर्जी विदेश नहीं जाना चाहते।
56. सब लोग किसकी शादी में जा रहे हैं ?
Ans. सब लोग राजीव की शादी में जा रहे हैं।
57. महिला संगीत में क्या क्या होगा ?
Ans. महिला संगीत में ढोलक बजेगी, गीत गाऍंगे,नाचेंगे और मेहंदी लगेगी।
58. अनु और पार्थ शादी में क्या क्या पहनेंगे ?
Ans. शादी में अनु लहॅगा पहेनेगी और पार्थ शेरवानी पहनेगा।
59. जूता छुपाई में क्या होता है ?
Ans. जूता छुपाई में दूल्हे की सालियॉं दूल्हे के जूते को छिपा देती हैं और पैसे मिलने पर ही जूते देती हैं।
60. विदाई तक कौन कौन रुक रहा है ?
Ans. विदाई तक मॉ - बेटी दोनों रुक रही हैं।
61. राघव छुट्टियों में कहॉं कहॉं गया ?
Ans. राघव छुट्टियों में मैसूर और हैदराबाद गया ।
62. हैदराबाद में इतनी हरियाली कैसे है
Ans. वृक्षारोपण के कारण हैदराबाद में इतनी हरियाली है।
63. राघवन ने मैसूर में क्या क्या देखा ?
Ans. राघवन ने मैसूर में महाराजा का पैलस, वृंदावन गार्डन,श्रीरंगपट्टणम आदि देखा।
64. श्रीरंगपट्टणम में देखने लायक क्या है ?
Ans. टीपू सुल्तान का किला और श्रीरंगनाथ का मंदिर श्रीरंगपट्टणम में देखने लायक स्थान है।
65. मुंबई में बारिश कब होती है ?
Ans. जून से अगस्त तक मुंबई में बारिश होती है।
66. मुंबई में बारिश के दिनों में आने जाने में असुविधा क्यों होती थी ?
Ans. बारिश अधिक होने पर रेलवे लाइन पर पानी भर जाता था। बसें धीरे धीरे चलती थीं।
इससे बहुत असुविधा होती थी।
67. लेखिका का परिवार पिकनिक मनाने कहॉं जाता था ?
Ans. लेखिका का परिवार पिकनिक मनाने जुहू बीच जाता था।
68. दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला कब और कहॉं लगता है ?
Ans. दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 14 नवंबर से प्रगति मैदान में लगता है।
69. इस मेले में किन किन देशों ने भाग लिया ?
Ans. इस मेले में चीन, जापान, कोरिया आदि देशों ने भाग लिया।
70. कौन से पैवेलियन में इलैक्ट्रानिक सामान मिल रहा है ?
Ans. जापानी पैवेलियन में इलैक्ट्रानिक सामान मिल रहा है।
71. जम्मू - कश्मीर के पैवेलियन में क्या - क्या मिल रहा था ?
Ans. जम्मू - कश्मीर के पैवेलियन में कश्मीरी कढ़ाई के गरम सूट, शालें फर्नीचर आदि मिल रहा था।
72. बीरबल ने किस फूल को सबसे सुंदर बताया ?
Ans. बीरबल ने कपास के फूल को सबसे सुंदर बताया।
73. पाठ में कौन - सा दूध सर्वश्रेष्ठ बताया गया है ?
Ans. पाठ मे मॉ के दूध को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।
74. बीरबल के अनुसार पान के पत्ते की क्या विशेषता है ?
Ans.पूजा में काम आने के साथ रिश्तेदारों और मेहमानों का स्वागत पान से ही किया जाता है।
यही विशेषता बीरबल ने बताई।
75. संसार में सबसे ज़्यादा मिठास किसमें है?
Ans. संसार में सबसे ज़्यादा मिठास ज़ुबान में है।
76. बीरबल ने सर्वश्रेष्ठ राजा किसे माना और क्यों ?
Ans. बीरबल ने सर्वश्रेष्ठ राजा इंद्र को माना । क्योंकि इंद्र वर्षा के देवता है,वर्षा से ही जीव-जंतु जीवित रहते हैं।
77. लेखक ने जयपुर में क्या क्या देखा ?
Ans. लेखक ने जयपुर में हवामहल,जंतर-मंतर आदि देखा।
78. राजपूतों की क्या विशेषता है ?
Ans.अपनी आन बान और शान बनाए रखना राजपूतों की विशेषता है।
79. राजस्थान को पहले किस नाम से जाना जाता था ?
Ans. राजस्थान को पहले राजपुताना के नाम से जाना जाता था
80. रामदीन पटेल का घर कहॉं पर है ?
Ans. रामदीन पटेल का घर रतनपुर गॉंव में है।
81. नीम के पेड़ के नीचे कौन सी महिलाएँ बैठी थीं ?
Ans.नीम के पेड़ के नीचे भाग्यलक्ष्मी,समृद्धि और शांति बैठी थीं।
82. सुशीला ने किस महिला को घर आने का निमंत्रण दिया ?
Ans सुशीला ने शांति को घर आने का निमंत्रण दिया।
83. सुशीला की सास किसे बुलाना चाहती थी ?
Ans सुशीला की सास समृद्धि को बुलाना चाहती थी
84. सुशीला ने शांति को ही भोजन का निमंत्रण क्यों दिया ?
Ans.सुशीला जानती थी कि शांति रहेगी तो सुख और समृद्धि अपने आप आ
जाएगी। इसलिए उसने शांति को बुलाया।
85. जब फसल कटती है तो किसान क्या करते हैं ?
Ans.जब फसल कटती है तो किसान नई फसल से पकवान बनाकर ईश्वर को भोग चढ़ाते हैं।
86. लोग खुशियॉं कब मनाते हैं ?
Ans. त्यौहारों के आने पर लोग खुशियॉं मनाते हैं।
87. कौन गरीबों को दान देते हैं ?
Ans. जो अमीर होते हैं वे गरीबों को दान देते हैं।
88. होली का त्यौहार कब आता है ?
Ans. जब वसंत का मौसम शुरु होता है तब होली का त्यौहार आता है।
89. भारत के पड़ोसी देश कौन कौन से हैं ?
Ans. पाकिस्तान, चीन, बंगला देश ,भूटान, नेपाल, श्रीलंका आदि देश भारत के पड़ोसी देश हैं।
90. भारत में कितने राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं ?
Ans. भारत में 28 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं।
91. त्यौहारों की विशेषताऍं बताइए ?
Ans.त्यौहारों से भाईचारा, उत्साह और जीवन में नवीनता आती है।
92. भारत तीन तरफ से किससे घिरा हुआ है ?
Ans. भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है।
93. भारत में कौन कौन से धर्मों के लोग रहते हैं ?
Ans. भारत में हिंदू,मुसलमान,ईसाई,बौद्ध,जैन आदि धर्मों के लोग रहते हैं।
94. भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से कौन सा राज्य सबसे बड़ा है ?
Ans. भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान राज्य सबसे बड़ा है।
95. भारत में लगभग कितनी भाषाऍं बोली जाती हैं ?
Ans. भारत में लगभग 650 भाषाऍं बोली जाती हैं।
96. औद्योगिक कांति के बाद हमारा जीवन कैसा हो गया है ?
Ans. औद्योगिक कांति के बाद हमारा जीवन सुख - सुविधाओं से भर गया है।
97. सरकारी कर्मचारियों में क्या विशेषता होनी चाहिए ?
Ans. सरकारी कर्मचारियों को अनुभवी,कार्यकुशल और निष्ठावान होना चाहिए।
98. दफ़तर में काम को सुचारु रुप से चलाने के लिए हमारी सोच कैसी होनी चाहिए ?
Ans. दफ़तर में काम को सुचारु रुप से चलाने के लिए हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए।
99. अपने साथियों और अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए ?
Ans. अपने साथियों और अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ अपनत्व और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए।

FILL IN THE BLANKS


P.No 17

मुझे नई नई जगहें देखना पसंद है‎1 घूमने के लिए समय और धन भी चाहिए‎। पहाड़ों पर जाने के लिए गरम कपड़े, विशेष जूते आदि चाहिए‎। मुझे पहाड़ों पर सूर्योदय तथा सूर्यास्त देखना बहुत पसंद है‎। पहाड़ों की सुंदरता को कैद करने के लिए मुझे एक अच्छा कैमरा चाहिए‎।

P.No 18

मोहन का मकान बहुत बड़ा है‎। उस मकान में पाँच कमरे हैं‎। पाँचों कमरों में कई - कई खिड़कियाँ और कई - कई अलमारियाँ हैं। मोहन का परिवार भी बड़ा है‎। उसके चार लड़के और तीन लड़कियाँ हैं‎। सबसे बड़े लड़के का कालेज दूर है‎, इसलिए वह हॉस्टल में रहता है‎। मोहन सब लड़कों और लड़कियों को अच्छी शिक्षा देना चाहता है‎।


P.No 33

इस समय शाम हो रही है‎। बच्चे मैदान में खेल रहे हैं‎। एक तरफ कुछ लड़के फुटबाल खेल रहे हैं। दूसरी ओर एक टीम क्रिकेट खेल रही है‎। मैदान में कुछ लड़कियाँ झूला झूल रही हैं। सब कुछ अच्छा लग रहा है‎।

P.No 39

मुझे तैरना अच्छी तरह आता है‎। मेरे दोस्त कहते हैं कि मैं आसानी से दो मील तैर सकता हूँ। इससे पहले मैं तैराकी प्रतियोगिताओं में इनाम पा चुका हूँ‎। एक बार हमारे कालेज में तैराकी प्रतियोगिता हुई‎। उस दिन मुझे बुखार था इसलिए मैं तैर नहीं सका‎। मैं सोचता हूँ कि शहर के कई खिलाड़ी मुझसे अच्छा तैर सकते हैं‎।

P.No 46

पिछले हफ़ते हम एक जगह पिकनिक पर गए थे‎‎। उस जगह का नाम बरारा है।। वह आगरा से करीब दस किलोमीटर दूर है‎। उस गाँव के प्रधान का नाम ठाकुर सिंह है‎। उस गाँव में अंगूरों का बहुत बड़ा बाग है‎। अंगूरों के बाग को देखकर मुझे बड़ा आनंद आया‎।


P.No 59

मेरी पत्नी ने एक पर्स पसंद किया‎। बच्चे ने भी एक खिलौना खरीदा। रास्ते में हमने काँच का फूलदान देखा‎। वह मुझे बहुत पसंद आया। दुकानदार ने सौ रुपये दाम बताया‎। मैंने मोलभाव करके उसे पचास रुपये में खरीद लिया‎।

Fill In The Blanks With The Help Of The Verbs Given In Brackets


1. मैं आजकल हिंदी सीखता हूँ ‎। ( सीखना )
2. आज भी उन दिनों की बहुत याद आती है‎। ( आना )
3. इसकी रिपोर्ट अभी तक क्यों नहीं मिली ‎। ( मिलना )
4. मैंने चाय नहीं पी‎। ( पीना )
5. सुजाता टाइप नहीं कर सकती‎। ( सकना )
6. अच्छा हो कि श्री गणेश भी बैठक में जाएँ। ( जाना )
7. भगवान न करे कि गहने चोर के हाथ लगें‎। ( लगना )
8. शीला का यह काम करना है‎ / होगा‎। ( होना )
9. शायद मैं वहाँ न जा पाऊँ। ( पाना )
10. हम दोनों आजकल फिल्म नहीं देखते‎। ( देखना )
11- क्या रंगनाथनजी जनवरी में बाहर जा रहे हैं। ( जाना )
12. मोहन की लड़कियाँ शाम को घर लौटती हैं। (लौटना )
13. राजीव, रिपोर्ट माँ को भी दिखाओ‎। ( दिखाना )
14. नौकर बाज़ार से सब्जी लाता है‎। ( लाना )
15. मेहमानों को रात में परेशानी होगी‎। ( होना )
16. रेड्डी हैदराबाद होकर तिरुपति गया। ( होना )
17. शनिवार को हम चंडीगढ़ जाना चाहते हैं। ( चाहना )
18. इससे पहले भी मैं कई बार दूर तक तैर चुका हूँ। ( चुकना )
19. श्रीमती मोहन कालेज में पढ़ाती हैं। ( पढ़ाना )
20. सरला और सीता एक ही स्कूल में नहीं पढ़तीं। (पढ़ना )
21. क्या आप मेरा निबंध पढ़ चुके हैं। ( चुकना )
22. बच्चा ज़ोर से रोने लगा‎। ( रोना )
23. सुनो, ज़रा नौकर को बुलाओ‎। ( बुलाना )
24. सबेरे बच्चों को जल्दी उठना है‎। ( उठना )
25. कल शाम को बच्चे मैदान में खेलेंगे। ( खेलना )
26. क्या मेहमानों ने खाना खा लिया ( खा लेना )
27. आज गाड़ी एक घंटा देर से आएगी‎। ( आना )
28. साहब ने पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए‎। (कर देना )
29. वे लोग दो-तीन दिन यहॉ रुकेंगे। ( रुकना )
30. मैंने दुकानदार को पचास रुपए दिए‎। ( देना )
31. अफ़सोस है कि हम शादी में नहीं आ सकेंगे‎। ( आ सकना )
32. क्या आप आज का अखबार पढ़ चुके हैं । ( पढ़ चुकना )
33. मेरा सुझाव है कि वरिष्ठ अधिकारी वहाँ जाएँ। ( जाना )
34. क्यों न हम अधिकारियों से बात करें । ( बात करना )
35. मैं चार तारीख से छुट्टी ले रहा हूँ‎। ( लेना )
36. भगवान करे उसे नौकरी मिल जाए‎। ( मिल जाना )
37. सरला कभी कभी पत्रिका पढ़ती है‎। ( पढ़ना )
38. बाज़ार में आजकल चाय नहीं मिलती‎। (मिलना )
39. हमें चाहिए कि हम दफ़तर समय पर आएँ‎। (समय पर आना )
40. हो सकता है कि वह घर लौट आए‎। ( लौट आना )
41. मुझे विश्वास है कि वह आज कार्य ज़रूर पूरा कर लेगा‎।(पूरा कर लेना)
42. मैं चाहता हूँ कि आप परीक्षा में सफल हों।( सफल होना )
43. वे आज बैठक में उपस्थित नहीं हो सकेंगें‎। ( हो सकना )
44. आप चाहे तो उपनिदेशक से बात कर सकते हैं‎। ( बात करना )
45. सुरेश को किताब खरीदनी है। ( खरीदना )
46. क्या आपने सभी चिट्ठियाँ पढ़ लीं‎। ( पढ़ लेना )
47. मुझे कई पत्र भेजने हैं। ( भेजना )
48. मुझे एक ज़रूरी पत्र लिखना है‎। ( लिखना )
49. कृपया उद्यान से फूल न तोड़ें। ( तोड़ना )
50. मुझे आज ज़रूरी फाइलें निपटानी है‎। ( निपटाना )
51. मैं रोज़ समाचार पत्र पढ़ता हूँ। ( पढ़ना )
52. बच्चों ने स्कूल का काम पूरा किया‎। ( पूरा करना )
53. आपने उस चिट्ठी का क्या जवाब दिया ( देना )

Sep 28, 2009

इस अंतराल की भी कुछ वज़ह है.

मित्रो ,
कई दिनों से हम कुछ भी नया पोस्ट नहीं कर पा रहे हैं। यह कोई विज्ञापन वाला ब्रेक नहीं है। इस अंतराल के लिए कुछ तो अपरिहार्य कारण याकी उलझनें अवश्य हैं। मगर थोड़े अंतराल के बाद हम फ़िर लौटेंगे और नए जोश, नई तेज़ी के साथ लौटेंगे । बस अभी के लिए क्षमा प्रार्थी हैं। ज़रा इन अनचाही उलझनों के तार भी सुलझा लें ....
-अजय मलिक

सभी को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं


Sep 24, 2009

कृपया हिंदी में उत्तर दें -

हिंदी में कुल कितने स्वर हैं? क्या आप उन्हें लिखना या टाइप करना सीख चुके हैं? यदि हाँ , तो उन्हें कमेंट्स बॉक्स में टाइप कीजिए ।

मुफ़्त मुफ़्त मुफ़्त: मगर कितना चाहिए!!

मुफ़्त से किसी को कोई परहेज़ नहीं। होना भी क्यों चाहिए? पुरानी कहावत है -"मुफ़्त के चंदन , घिस मेरे नंदन " चंदन को मंजन कर लीजिए फ़िर दांत बचें या न बचें जब मुफ़्त में मिल रहा है तो एक बार आजमाने में क्या जाता है ? हमने पूरी कोशिश की है कि हिन्दी सीखने के लिए जो भी लिंक हम सुझाएँ वे न सिर्फ़ मुफ़्त हों बल्कि उपयोगी भी हों। अब यह सीखने वालों पर है कि वे इनका कितना उपयोग कर पाए या कर पाएंगे।
यहाँ एक बेहद महत्वपूर्ण बात बतानी जरूरी है जो हमें मार्गदर्शन एवं परामर्श पाठ्यक्रम के दौरान बताई गई थी। वह बात थी -" बिन मांगे मार्गदर्शन या परामर्श कभी न दिया जाए।" इसका कारण भी बताया गया था-जब तक किसी को स्वयं यह महसूस न हो कि उसे परामर्श की आवश्यकता है तब तक उसे बताई गई हर बात निरर्थक है , ऐसी किसी बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ता जब तक किसी को सूचना की आवश्यकता नहीं है तब तक दी गई सूचना एक बोझ की तरह है।
इसी के साथ जब बिना संघर्ष किए कुछ मिलता रहता है तब तक उसका कोई महत्त्व नहीं होता। संघर्ष से ही यह एहसास होता है कि जो मिला है वह कितना कीमती -बहुमूल्य है। हमने अनेक वेब साइटें हिंदी सिखाने का दावा करने वाली देखीं जिनमें पहले पंजीकरण आवश्यक था और उसके बाद एक निश्चित फीस की मांग की जाती थी और उसके बाद भी जो मिलता था वह यदि अनुपयोगी नहीं था तो बहुत अधिक आकर्षक भी नहीं था। इतने पर भी उन वेबसाइटों की चांदी कट रही थी/है क्योंकि पैसे देने की बाध्यता और उसके बाद पैसे वसूलने की मानसिकता दोनों का अजीब सा अरुचिकर आकर्षण होता है ।
बहरहाल अब हमारी कोशिश ये होगी कि नए लिंक्स न दिए जाएँ और पुराने लिंक आधारित प्रश्न दिए जाएँ जिनके उत्तर हिंदी सीखने वाले कमेंट्स या ई-मेल के द्वारा दें। इसी प्रकार हिंदी सीखने में आ रही कठिनाइयों पर खुली चर्चा हो ताकि थोड़ा कुछ हमें भी सीखने को मिल सके ।

Sep 23, 2009

एक और हिन्दी-अंग्रेज़ी/ अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोश

यह एक अच्छा ऑनलाइन शब्दकोश है । इसे hinkhoj.com द्वारा तैयार किया गया है। हिन्दी शब्दों को टाइप करने के लिए कुंजी पटल भी साथ में दिया गया है । यह एक विकसित होती हुई खुली किताब की तरह है जिसमें कोई भी पाठक अपनी ओर से नए अर्थ जोड़ सकता है, वाक्यों में प्रयोग कैसे किया जाए बता सकता है ।
Shabdmalaa : A new on line Hindi to English and English to Hindi Dictionary
The link is given below-
शब्दमाला
.

एक और निशुल्क हिन्दी वर्णमाला शिक्षक

यदि आपके कंप्यूटर में रियल प्लेयर है तो हिन्दी वर्णमाला सीखने के लिए नीचे दिए गए लिंक का उपयोग किया जा सकता है ।
http://ccat.sas.upenn.edu/plc/hindi/alphabet/

Sep 21, 2009

साँप आज भी हैं शहर में

-प्रतिभा मलिक
.
साँप आज भी हैं शहर में
पूरी असभ्यता से विचरते हैं वे
जंगल-बंजर-गाँव-शहर के
हर गली-कूंचे को शान से डसते हुए।
.
अब सभ्यता उनसे संवरती है।
उनकी फुफकार पर
सादर सलाम करती है।
अब कोई कुछ नहीं पूछता उनसे ...
.
(अज्ञेय जी सुप्रसिद्ध कविता है - साँप... आपने भी जरूर पढ़ी-सुनी होगी!)

सभी देशवासियों को ईद मुबारक

सभी देशवासियों को हिन्दी सबके लिए की ओर से ईद की हार्दिक शुभकामनाएं ।

Sep 20, 2009

हिंदी क्रियाओं के लिए शायद यह मददगार हो...

एक नया लिंक जो शायद हिंदी क्रियाओं के प्रयोग और अभ्यास के लिए मददगार हो ...निशुल्क आजमाने में बुराई क्या है ?
http://www.verbix.com/languages/hindi.shtml

हिंदी फिल्मी गीत पढ़िए भी और सुनिए भी -2

इससे पहले भी हमने एक लिंक हिदी फिल्मी गीत पढ़ने का दिया था । अब पेश है इसी क्रम में दूसरी कड़ी । इस कड़ी के माध्यम से आप पसंदीदा गीत पढ़ भी सकते हैं और सुन भी सकते हैं । यह सब तैयार किया है मंजूषा उमेश ने और वेबसाइट का नाम है गीत मंजूषा । नीचे दिए लिंक से आप इसका उपयोग कर सकते हैं-
गीत मञ्जूषा
or just choose the movie, singer, musician, actor etc by clicking the index below-

Hindi Song Index Movie Singer Musician Lyricist Actor Play
(गीत मंजूषा के सौजन्य से )

एक और ऑनलाइन हिन्दी व्याकरण पुस्तक

Outline of Hindi Grammar
by R. S. Mcgregor; Oxford University Press, 1995
just click the link below-
Title Page

(Questia Media America, Inc. www.questia.com के सौजन्य से )

मधुशाला बनाम भाषा शिक्षण और बच्चन जी


भाषा शिक्षण प्रारम्भिक स्तर पर साहित्य से अलग कहा जा सकता है मगर भाषा सीखने के लिए लय-ताल का भी अपना महत्त्व है. सम्प्रेषण मात्र शब्दों का हेर-फेर नहीं है. लहज़ा और अंदाज को समझे बिना शब्द हथोड़े की चोट की तरह हैं. संगीत शब्दों के बिना होते हुए भी भावों को कहीं अधिक गहराई तक और कहीं ज्यादा तेज गति से संप्रेषित करता है. हिंदी फिल्में देखने वाले अनेक लोग हिंदी नहीं जानते फिर भी वे बालीवुडी फिल्मों का मजा लेते हैं. फिर बिना अक्षर ज्ञान के वे शब्दों को आत्मसात करने लगते है. तमिलनाडु में ऐसे अनेक हिंदी भाषी हैं जो फर्राटेदार तमिल बोलते हैं मगर तमिल लिखना-पढ़ना नहीं जानते. मधुशाला बच्चन जी की वजह से चर्चित नहीं हुई बल्कि बच्चन जी को मधुशाला से बहुत ज्यादा लोकप्रियता मिली. यह एक अद्भुत रचना है जो गूढ़ दर्शन भी है और सहज ग्राह्य भी. मधु की तरह मधुर भी है और मद की तरह मदहोश करने वाली भी. अमिताभ बच्चन उसे गाएं या न गाएं मधुशाला उनसे पहले भी थी, आज भी है और आगे भी अवश्य रहेगी.

लोकप्रिय हिंदी कथाएँ - यू ट्यूब वीडियो

हिंदी की लोकप्रिय कहानियों के वीडियो यू ट्यूब पर निशुल्क उपलब्ध हैं । इनमें बीरबल की खिचडी से लेकर पंचतंत्र की कहानियाँ तक मौजूद हैं। बस नीचे दिए लिंक को क्लिक करने की देर है-

Hindi video-stories

Sep 18, 2009

"एक था मेरा भी गाँव" -एक अधूरी कविता


-अजय मलिक

एक था मेरा भी गाँव
जहाँ धूप में जलते किसान
रोपते थे धान ।

एक था मेरा भी घेर
वह एक छोटे से ओसारे की
टपकती छान ।

चार थे मेरे भी खेत
चकबंदी से बने जब एक
तो बाकी रहा बस रेत ।

हिंदी का संक्षिप्त इतिहास अँग्रेज़ी में

भारत में हिंदी और उर्दू की समसामयिक स्थिति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से संबंधित अँग्रेज़ी में एक अच्छा लेख हिमालय हिंदी हाउस की साइट पर देखने को मिला। नीचे लिंक दिया जा रहा है-

(HIMALAYA HINDI HOUSE के सौजन्य से )

Sep 17, 2009

एक मजेदार अक्षर पहेली वर्णमाला से जुड़ी

अक्षर अभ्यास के लिए यह पहेली उपयोगी हो सकती है । इसे hindiwallah.com ने तैयार किया है। लिंक नीचे दिया जा रहा है -
An interesting Hindi letter quiz devolpoed by hindiwallah.com. just click the link below-
or

Sep 16, 2009

आओ हिन्दी सीखें - Let's Learn Hindi एक और अच्छा लिंक

यह लिंक देखने में आकर्षक न सही मगर है बहुत उपयोगी। एक बार अवश्य परखिएगा।

Hindi Learning Material
(adfa.edu.au के सौजन्य से )

निशुल्क हिंदी व्याकरण हिंदी में

यह भी निशुल्क है । सीधी-सरल भाषा में है ।
One more free hindi grammar book..very simple and easy. Just click the link below
Hindi Grammar Book

(भारतीय साहित्य संग्रह के सौजन्य से )

बच्चों के हिंदी में नाम ...

उन अप्रवासी भारतीयों के लिए जिन्हें अपने बच्चों के हिंदी में नामकरण में बड़ी कठिनाई होती है यह लिंक मददगार साबित हो सकता है -
Baby Names
(Isamaj.com के सौजन्य से )

हिन्दी वर्णमाला के लिए एक और भी

यह भी एक बिल्कुल नया लिंक है मगर सिर्फ़ वर्णमाला तक सीमित मानिए। लेकिन कुछ और उपयोगी सामग्री जैसे श्री हनुमान चालीसा , कबीर के दोहे आदि भी इस लिंक पर मौजूद है।
This is also a new link
Learn Hindi

(Isamaj.com के सौजन्य से )

सामान्य हिंदी व्याकरण अभ्यासार्थ

एक बार फिर से फ़टाफ़ट हिंदी व्याकरण का अभ्यास हो जाए ।
A short introduction to Hindi. A new link is given below-
Hindi Grammar

एक बार फ़िर से हिन्दी वर्णमाला अभ्यास

आप आगे बढ़ चुके हैं और पीछे मुड़कर देखना नहीं चाहते। मगर अभ्यास के लिए तो दोहराना पड़ेगा ही
Practice once again all Hindi alphabets. A new link for practice is given below-

http://www.learn-hindi-alphabets.co.cc

Sep 15, 2009

हिंदी साहित्य का इतिहास

कई मित्रों का आग्रह है कि 'हिंदी सबके लिए' में हिंदी साहित्य के इतिहास के पन्ने भी जोड़े जाएँ। आज से हम हिंदी साहित्य के इतिहास के लिए भी लिंक्स देना शुरू कर रहे हैं। सबसे पहले विकिपीडिया से शुरू करना उचित लग रहा है क्योंकि यहाँ संक्षेप में सटीक जानकारी दी गई प्रतीत होती है-
Just click the link below-

हिंदी साहित्य

(विकिपीडिया के सौजन्य से )

Sep 14, 2009

एक हिंदी शिक्षक के जन्मदिन पर बधाई

आज चेन्नै में एक हिंदी दिवस समारोह के समय किसी ने पूछा -"आज किस लिए यह कार्यक्रम हो रहा है, क्या किसी का जन्मदिन है?"
कोई वहाँ हाजिर जवाब भी मौजूद था । तपाक से उत्तर दिया- "जी हाँ, आज हिंदी का जन्मदिन है।"
इस घटना को सुनकर इस बात का पता लगाने का मन हुआ कि क्या अपने परिचितों में आज हिंदी के अलावा किसी और का भी जन्मदिन हो सकता है ? यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि श्री महेंद्र कुमार का आज जन्मदिन है। क्या यह विचित्र संयोग नहीं कि वे केंद्रीय विद्यालय सी एल आर आई में हिंदी अध्यापक हैं। हम उन्हें हिंदी दिवस के साथ-साथ जन्मदिन की भी बधाई देना चाहते हैं । जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।

पराधीन पीढ़ियों सुख नाहिं


-अजय मलिक

पराधीनता यानी गुलामी अनुवांशिकी को भी प्रभावित करती है। इस विषय पर अगर कोई शोध या खोज नहीं हुई है तो होनी चाहिए। हम सदियों तक गुलाम रहे परिणामत: गुलामी समाज में अंगीकार और सहज स्वीकार हो गई। गुलामी ने हमारी सोच बदली, रहन-सहन बदला, यहाँ तक कि काफी कुछ संस्कार भी बदल दिए। हमने आधुनिकता के नाम पर बहुत कुछ अपनाया। अपनी आवश्यकताओं को अपने प्राकृतिक संसाधनों से पूरा करने की बजाय हमने आयातित संसाधनों से पूरा करना सीखा। हमारी अधिकाँश आवश्यकताएं भी आयातित हुईं। इस प्रक्रिया को हमने विकास का नाम दिया। कुछ लोग इस प्रक्रिया में सर्व संसाधन सम्पन्न हो गए याकि विकसित हो गए। बाकी ने जो उनके पास था उसे पिछडा हुआ मानकर छोड़ दिया और जो नहीं था उसे न मिल पाने की निराशा में घर फूँक तमाशा देखने का निर्णय लिया। यह सारी प्रक्रिया पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाली सहज और सतत प्रक्रिया में बदल गई।
मेरा यह मानना है कि अंग्रेजी के चलन और निरंतर विस्तारित होते जाने के पीछे भी यही गुलामी का अनुवांशिक प्रभाव है। एक और प्रवृत्ति मैंने महसूस की है जो बहुत गहरे हमारी अनुवांशिकी को प्रभावित कर चुकी है और वह है निरंतर अपनी विरासत के प्रति नकारात्मक सोच का परिपक्व होते जाना। यह प्रवृत्ति विशेषकर हिंदी भाषियों में प्रचुरता से देखी जा सकती है। आप सिर्फ एक बार कहकर देखिए कि हिंदी में या हिंदी से भी काम चल सकता है। फिर तर्कों या कुतर्कों का ऐसा अम्बार लगा दिया जाएगा कि आप भी निराशा की अनुवांशिक नकारात्मक सोच से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाएंगे।
यहाँ मैं सिर्फ एक उदाहरण देना चाहूंगा। जब भी आप अपनी भाषाओं की या हिंदी की बात उठाते हैं तुंरत अंग्रेजी के अंतर्राष्ट्रीय होने का अलाप-जाप शुरू हो जाता है । आपने अंग्रेजी का नाम तक नहीं लिया है मगर गुणसूत्रों में समा चुकी अंग्रेजी स्वत: प्रकट हो जाएगी। ऐसे-ऐसे लोग जिनकी किसी पीढ़ी में कोई एक प्रांत से दूसरे प्रांत तक नहीं गया, विदेशों में जाने की लुभावनी कल्पना में खो जाते हैं और बिना अंगेजी के हो सकने वाली संभावित दुर्गति के प्रति चिंता प्रकट करने लगते हैं । अगर समय रहते आपने उन्हें नहीं संभाला तो पीड़ा से रोना भी शुरू कर सकते हैं।
आप उनसे पूछिए- "क्या आपके पास पासपोर्ट है?" उनका जवाब नकारात्मक होगा।
आप कहेंगे- "बनवा लीजिए।"
वे कहेंगे- "जब जरूरत होगी बनवा लेंगे. अभी तो कोई जरूरत है नहीं, फिर क्यों पचड़े में पड़ना। -बिना बात का खर्चा करने से क्या फायदा?"
अच्छे से अच्छे धुरंधर अंग्रेजीदाँ हिन्दुस्तानी की अँग्रेज़ी देखिए, फिर उनकी अपनी मातृभाषा देखिए, फिर इन दोनों की परिशुद्धता परखिए। आप पाएंगे कि वे अपनी मातृभाषा की अनेक त्रुटियों से वाकिफ हैं मगर अँग्रेज़ी की परिशुद्धता पर उन्हें खालिश देशी घी जैसा विश्वास है। अरे भाई जब आप जिस मातृभाषा से अभिव्यक्ति करना सीखे उसे सही से नहीं जान-समझ पाए तो क्या ख़ाक खरापन ला पाएंगे अँग्रेज़ी में?
पर यहाँ भी उनका जवाब मिल सकता है "-अँग्रेज़ी हमारी अनुवांशिकी में समा चुकी है इसलिए उसकी परिशुद्धता संदेह से परे है। मातृभाषा माँ के आँचल में ढूध पीने के दौर तक सीमित रहती है।"
संघ की राजभाषा हिंदी है और ये एक संवैधानिक सत्य है। सरकार की राजभाषा नीति हमारी परम्पराओं के अनुरूप प्रेरणा, प्रोत्साहन और सद्भावना पर आधारित है। ऐसा होने में बुराई ही क्या है? मैं ये समझ पाने में असमर्थ हूँ कि हर कार्य के लिए डंडे के जोर की अनिवार्यता ही क्यों होंनी चाहिए?
प्रेरणा और प्रोत्साहन से क्या अभिप्राय है? सद्भावना का क्या अर्थ है? ये सारी बातें हम सब बखूबी जानते हैं मगर अनुवांशिक स्तर पर गुणसूत्रों में समा चुकी गुलामी और उससे उपजी नकारात्मकता - हर अच्छी बात को सिरे से नकार देने को विवश कर देती है। प्रेरणा, प्रोत्साहन और सद्भावना अँग्रेज़ी के प्रयोग को बढ़ाने के लिए है या हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने के लिए ? क्या प्रेरणा का अभिप्राय असत्य को बढावा देने की प्रेरणा से है? क्या हम झूठ बोलने के लिए भी अनुवांशिक कारणों से बाध्य हैं ? क्या प्रोत्साहन झूठ को दिए जाने का प्रावधान है? क्या दो जमा दो बराबर पच्चीस या पचास कर देने से सद्भावना बढ़ती है?
यदि गुलामी के अनुवांशिक कारणों से इतर सोचा जाए तो सत्य को समझाने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। मगर अँधेरे में रहते-रहते हम सत्य की रोशनी की चकाचौंध को झेल पाने की शक्ति खो चुके हैं इसलिए सबसे ज्यादा घबराहट सच के बारे में सोचने से ही होती है।
एक और तर्क दिया जाता है राजभाषा नियमों के हवाले से कि जब तक सभी राज्य न चाहें तब तक अँग्रेज़ी का प्रयोग किया जा सकेगा। ठीक है मगर क्या यह प्रावधान किसी भी तरह हिंदी के प्रयोग को न किए जाने की बाध्यता प्रतिबिंबित करता है? इससे हिंदी का प्रयोग दंडनीय तो नहीं हो जाता।
मैंने अनेक मंचों से इस मुद्दे पर संसद और विधान मंडलों के संवैधानिक अधिकारों की चर्चा की है, महामहिम राष्ट्रपति जी के हिंदी के प्रयोग से सम्बंधित आदेशों का हवाला देकर स्पष्ट किया है कि सरकार की राजभाषा नीति कहीं से भी हिंदी के प्रयोग को बाधित नहीं करती । यह उतनी ही सशक्त है जितनी की अन्य नीतियाँ। राजभाषा अधिनियम भी उतना ही सशक्त है जितना कोई अन्य अधिनियम। ये सिर्फ नज़रिये यानी दृष्टिकोण का अंतर है -जैसे कि आधा गिलास पानी, -कोई उसे आधा भरा मानता है तो कोई आधा खाली। नकारात्मक सोच से निकलकर अपने स्वाभिमान को सँजोकर देखने से हम सच्चाई के अधिक करीब पहुँच सकते हैं अन्यथा मुझे यही कहना पड़ेगा–"पराधीन पीढ़ियों सुख नाहिं।"

हिंदी प्राध्यापकों के मामले में माननीय मद्रास उच्च न्यायालय का आदेश

इस मामले में विशेष यह है कि 9 अप्रेल 2009 को पहली बार माननीय मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने वादी को कुछ देर तक हिंदी में भी बहस करने की अनुमति दी थी। खंडपीठ के दोनों माननीय न्यायाधीश , वादी -जिसने स्वयं हिंदी में भी बहस की और प्रतिवादी पक्ष के सहायक महाधिवक्ता सहित सभी हिंदीतर भाषी थे ।
आदेश को पूरा पढ़ने के लिए कृपया नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें -
(www.judis.nic.in के सौजन्य से )

मैं क्या बोलूँ जी ???

-प्रतिभा मलिक

आजकल बड़े जोर-शोर से हिंदी को प्रौद्योगिकी से जोड़ने की बात कही जा रही है। सच ये है कि यह कार्य लगभग पूरा भी हो चला है। मगर सोचने की बात यह है कि दफ्तरों में कितने प्रतिशत हिंदी अधिकारियों के पास कंप्यूटर की सुविधा है और कितने के पास इंटरनेट की? कितने कार्यालयों में हिंदी अनुभाग इंटरानेट से दूसरे अनुभागों से जुड़ा है? -कितने कर्मचारी/ अधिकारी हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं में ई-मेल भेजते है ? हाल ही में मैं एक दफ्तर में जाना हुआ । वहां एक हिंदी टंकक ने बताया-"मैडम जिनके पास सुविधा नहीं है उनको तो छोड़िए, मैं एक ऐसे अधिकारी को जानती हूँ जिनके पास कंप्यूटर है, इंटरनेट है, फैक्स है, प्रिंटर-स्कैनर है...और पता नहीं क्या -क्या इलक्ट्रोनिक आइटम उनके कमरे में लगे हैं, मगर ये सब केवल उनके कमरे की शान बढ़ाने के लिए हैं न कि इस्तेमाल करने के लिए। मजे की बात तो ये है कि वे खुद तो कुछ करते नहीं या करना नहीं जानते अगर कोई और दूसरा करे तो भी उन्हें बेहद तकलीफ होती है। बताइए, इस सब से या ऐसे साहबों से हिंदी या अन्य किसी को क्या लाभ हुआ ? अगर ये उपकरण साहब के कमरे के बाहर रखे होते तो कम से कम हम अपने अब्बाजान को हिंदी में चिट्ठी तो लिखते । वे कितने खुश होते कि शीला शहर पहुंचकर भी अपनी मातृभाषा नहीं भूली। पचास लोगों को दिखाते भी चाहे इसके लिए उन्हें चाय ही क्यों न पिलानी पड़ती।"
उन्होंने आगे कहा- "मैं तो तब हिंदी का प्रचार-प्रसार हो रहा है मानूंगी जब हमारे साहब अपनी भाषा में ई-मेल भेजने लगें। इस चार दीवारी के अन्दर तो किसी को पता तक नहीं कि हिंदी में ई-मेल कैसे करना है... फोंट की समस्या को कैसे सुलझाना है... यूनीकोड किस बला का नाम है..."
वे बोलती चली जा रही थीं और मैं सुनती जा रही थी... और कोई विकल्प भी तो मेरे पास नहीं था। क्योंकि मेरे आस-पास भी स्थिति बहुत ज्यादा अलग नहीं थी ....... वाद-विवाद तक की कोई गुंजाइश वहाँ नहीं थी। मैं चुपचाप उनका मुँह ताकती रह गई...

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

हम भारत के लोग उस विधान के अनुरूप जो हमने अपने लिए तैयार किया है हिंदी को अपने संघ की राजभाषा स्वीकार चुके हैं। हम भारतवासियों ने 14 सितम्बर 1949 के दिन यह निर्णय लिया था। हर वर्ष 14 सितम्बर के दिन हम संघ की राजभाषा हिंदी को दी गई अपनी स्वीकृति पर गौरवान्वित होते हुए हिंदी दिवस मनाते हैं। हिंदी अपनी अन्य बड़ी बहनों की गोद में इसी तरह हंसती-खेलती रहे और सभी भारतीय भाषाओं के साथ दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति करे ...
इसी भावना के साथ हम सब भारतवासियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।

Sep 13, 2009

एक डरे हुए आदमी का हिंदी दिवस

-अजय मलिक
"जो डर गया समझो मर गया।" शोले का यह संवाद कई बार बड़ा अच्छा लगता है। मैं सोचता हूँ - मरने का अर्थ तो यही है कि शरीर में अब वह तत्व शेष नहीं है जो उसकी सक्रियता, संवेदनशीलता, विभिन्न अंगों-जैविक क्रियाओं पर नियंत्रण के लिए जरूरी है। मरने का मतलब सांस का रुक जाना ह्रदय गति का रुक जाना वगैरह भी है। लेकिन मैं तो सोच सकता हूँ, श्वसन क्रिया, ह्रदय गति, रक्त प्रवाह जारी है; हाथ-पैर पर नियंत्रण भी है; एक अंगुली वाली टाइपिंग भी मैं कर पा रहा हूँ। इसका सीधा सा मतलब यही है कि मैं जिन्दा हूँ और अन्य सारे के सारे लक्षण डरे हुए निरीह प्राणी के ही हैं।
आजकल मुझे सबसे ज्यादा डर हिंदी दिवस के आस-पास लगता है। यकीन मानिए सितम्बर के शुरू होते-होते मेरे हाथ-पैर फूलने शुरू हो जाते हैं। इसका कारण है एक लाइलाज बीमारी। इस बीमारी से निजात पाने के लिए नीम-हकीम, तंत्र- मंत्र, झाड़-फूंक, दवा-गोली सब कुछ कर लिया मगर सब बेकार। जानकारों का कहना है कि दमा के रोग की तरह यह बीमारी भी दम के साथ ही निकलेगी।
मुझे हिंदी और हिंदी के मामले में सच बोलने की ग़लतफ़हमी का रोग है। मैं अंग्रेजी का वहमी बन गया हूँ। हर तरफ जहाँ-जहाँ विद्वजनों, भद्रजनों, विधिजनों (विधिवेत्ताओं) को हिंदी ही हिंदी नज़र आती है वहाँ मुझे अंग्रेजी ही अंग्रेजी होने का वहम होता है। पता नहीं क्यों जहाँ सबको क ख ग नज़र आते हैं मुझे A B C D लिखी होने का आभास होता है। शायद यह किसी तरह का दृष्टिदोष है ।
सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि मैं इस दृष्टिदोष को स्वीकारने से इंकार करता हूँ और जो मुझे दिख रहा होता है या मेरी आँखे जिस असत्य सच का आभास करा रही होती हैं; मैं उस पर विद्वजनों से सहमत नहीं हो पाता। यानी मेरा आभासी सच मुझे पूर्ण सत्य लगता है और उनका पूर्ण सत्य मैं स्वीकारना चाह कर भी पचा नहीं पाता। वास्तविकता ये है कि मुझे यह भी वहम है कि मैं सच बोलने के सह रोग से भी ग्रस्त हूँ। ये दोनों रोग 'करेला और नीम चढ़ा' की पुरानी कहावत को चरितार्थ करते हैं। मुँह पर हज़ारों ताले डाल लेने पर भी भी मेरा वहमी सत्य मुँह से निकल ही जाता है । ऐसी समस्याएँ अधिगम अक्षमताओं से ग्रसित बच्चों में होती हैं ।
लोग मुझे हिंदी वाला होने के नाते हिंदी पखवाड़ा मनाने के दौरान पकौड़ों का लालच देकर बुलाते हैं। मैं अपने चश्मे से अंग्रेजी देखकर खुद भी बिदक जाता हूँ और उनके लिए भी अनजानी-अनचाही कठनाइयां पैदा कर देता हूँ। वे अपने चश्मे से दिख रही अंग्रेजी-भरी हिंदी से प्रोत्साहित होना चाहते हैं । मुझसे उनकी अंग्रेजी-भरी पर आधा-अधूरा चढ़ा, फटा हिंदी का वर्क इधर-उधर हो जाता है। मैं उन्हें हिंदी-भरी बनाने के लिए प्रेरित करने की कोशिश करता हूँ तो वे गाली-गलौंच पर उतर आते हैं। उन्हें अंग्रेजी-भरी का अपमान बर्दास्त नहीं होता। वे मुझे धमकाते हैं, मैं उन्हें सद्भावना का हवाला देता हूँ। वे हवाला में फ़साने की धमकी देते हैं, मैं पकौड़ा खाने से इंकार करने लगता हूँ। वे अपनी जेब दिखाते हैं जिसमें बहुत से हिंदी वाले भरे होने का दावा किया जाता है और जिनकी नजरों से निकलती चिंगारियाँ सचमुच मुझे झुलसा देती हैं। मैं डर कर चुपचाप हर महफ़िल से इसी तरह बेवक्त निकल आता हूँ या निकाल दिया जाता हूँ।
मेरा रोग दिन-रात बढ़ता ही जाता है। सितम्बर की हवा बिलकुल भी रास नहीं आती क्योंकि डर का दबाव अब रक्तचाप बढ़ाने लगा है। शायद इसी तरह धीरे-धीरे इस शरीर के अनेक कल-पुर्जे खराब होते जाने के अंतिम चरण को भांप कर ही कहा जाता होगा- 'जो डर गया सो मर गया।' मगर आदमी बेचारा अंग्रेजी-भरी दुनिया में रसभरी हिंदी के सहारे आखिर कब तक खैरियत से रहेगा ? अब आप ही बताइए- मेरे जैसे डरे हुए आदमी को हिंदी दिवस के अवसर पर क्या करना चाहिए?

Sep 12, 2009

अब तक भी अनुत्तरित प्रश्न...थोड़ी तो मदद कीजिएगा

हमारे ये प्रश्न आख़िर अनुत्तरित क्यों हैं ? कृपया अब तो कोई बताए ऐसा क्यों है ??

यदि आप जानते हैं तो बताएं -
1. राजभाषा नियम 1976 का विस्तार तमिलनाडु राज्य पर क्यों नहीं है?
2. राजभाषा नियम 1976 के नियम-3, उपनियम-3 के अनुसार 'ग' क्षेत्र की राज्य सरकारों/व्यक्तियों के साथ किस भाषा में पत्राचार किया जाता है?
3. राजभाषा अधिनियम 1963 की किस धारा का सबसे ज्यादा उल्लंघन होता है और क्यों?
4. राष्ट्रपति की ओर से काम करने वाले को राष्ट्रपति के आदेशों का पालन करना किस सीमा तक अनिवार्य है ?
5. भारत में राष्ट्रपति की ओर से काम करने वाले कितने प्रतिशत लोग राष्ट्रपति के आदेशों का पालन करते हैं ?
6. प्रतिवेदन अथवा रिपोर्ट से क्या अभिप्राय है ?
7. सरकारी कार्यालयों, बैंकों आदि से भेजी जाने वाली दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक , मासिक , तिमाही, छमाही अथवा वार्षिक रिपोर्टें (प्रतिवेदन) आदि भी क्या राजभाषा अधिनियम 1963 (यथा संशोधित 1967 ) की धारा - 3(3) के अन्तर्गत आती हैं ?
8. राजभाषा अधिनियम 1963 के मूल पाठ में धारा - 3 में कितनी उपधाराएं थीं ?

अधूरी परिचर्चा

हमारी पूरी कोशिश थी एक बेहद गंभीर विषय पर सकारात्मक बहस छेड़ने की। हिंदी दिवस यानी 14 सितम्बर को सहज रूप से मनाने के लिए जरूरी था अपनी अन्य भारतीय भाषाओं के बारे में भी सोचना। हमने एक विषय रखा था- "भारत में भारतीय भाषाएँ कब तक ?" आधार था दो जनगणनाओं के आंकड़ों से उभरने वाली भयावह तस्वीर, जो अन्य भारतीय भाषाओं के चलन में भारी गिरावट का संकेत दे रही थी। हमने जो तथ्य आपके सामने रखे थे वे निम्न प्रकार थे -
"क्या आप जानते हैं हमारे देश में वर्ष 1991 में तमिल बोलने वालों का प्रतिशत 6.32 था जो वर्ष 2001 में 5.91 रह गया । इस अवधि में मराठी बोलने वाले 7.45 प्रतिशत से घटकर 6.99 प्रतिशत रह गए । उर्दू बोलने वाले 5.18 से घटकर 5.01 प्रतिशत पर सिमट गए। इसी प्रकार बंगाली, तेलुगु , कन्नड़ , मलयालम, गुजराती उड़िया , असमिया बोलने वालों की संख्या में भी गिरावट आई । हमारी भाषाएँ हमारी संस्कृति से जुड़ी हैं ... क्या हमारी भाषाओं से पलायन हमारी संस्कृति और समाज के ढाँचे को प्रभावित नहीं कर रहा है? ऐसे प्रश्नों के उत्तर आपको भी तलाशने हैं । हिंदी दिवस यानी 14 सितम्बर 2009 को हम आपके विचार बिना लाग-लपेट के इस ब्लॉग पर प्रकाशित करेंगे । आप अपने विचार यूनिकोड फॉण्ट में टाइप कर नीचे दिए पते पर मेल कर सकते हैं-"
हमें इस विषय पर कोई प्रतिक्रया नहीं मिली। यह एक ऐसा गंभीर विषय है जिसपर सिर्फ़ हमारे विचार कोई मायने नहीं रखते। इसलिए इस परिचर्चा को अधूरी मानते हुए हम वर्ष 2010 के हिंदी दिवस अर्थात अगले एक वर्ष तक आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार करेंगे और बीच-बीच में आपको स्मरण भी कराते रहेंगे कि आपको इस विषय पर जरूर कुछ कहना है।

हिंदी सीखने की पुस्तकें सीमित अवलोकनार्थ

हिंदी सीखने की कुछ पुस्तकों के सीमित अवलोकनार्थ links दिए जा रहे हैं । यदि समय है तो एक नज़र डालने में कोई बुराई नहीं है -
Just click the preview of each book given below-

Say it in hindi by Veena Talwar
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Colloquial Hindi: the complete course for beginners by Tej K. Bhatia
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Hindi & Urdu phrase book by Richard Delacy
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A Primer of Modern Standard Hindi. By MICHAEL C. SHAPIRO.
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दुर्गापुर से विश्वजीत मजूमदार

आदरणीय मालिक जी
आपका और प्रतिभा जी का भगीरथ प्रयास अंततः सफल होता दीख रहा है, जिस तत्परता और लगन से आप दोनों ने इस ब्लॉग को प्रतिदिन संवारने और सामग्री जुटाने,जोड़ने और बेहतर बनाने की कोशिश पूरी निष्ठा से की है उसका जवाब नहीं । इसके लिए शायद ज्ञानपीठ पुरस्कार भी कम है ! आप जैसे लोगों ने ही हिंदी को इस ऊंचाई तक पंहुचाने का वास्तविक काम किया है।
आपने राजभाषा विभाग से जुड़े आदेश के लिए लिंक तो दे रखे हैं पर राजभाषा विभाग के वेब साईट में आपको ऐसे अनेक आदेशों की कोई सूचना नहीं मिलेगी जो बहुत ही महत्व की है , जैसे कर्मचारियों को हिंदी परीक्षा पास करने पर मिलने वाले वैयक्तिक वेतन (personal pay) का मूल कार्यालय ज्ञापन संख्या १२०१४/१/७८-रा।भा।(डी), दिनांक १४।०२।७९ तथा १२०१४/२/७६-रा।भा.(डी), दिनांक ०२.०९.७६ मुझे आज तक कहीं देखने को नही मिला. आप के पास हो तो अविलम्ब वेब पर देने की कृपा करें। यदि कोई ऐसा तरीका हो कि हम सर्च में कार्यालय ज्ञापन संख्या डालें और पूरा कार्यालय ज्ञापन मूल रूप में दीख जाये तो सोने पर सुहागा । आशा है आप इस दिशा में स्वयं कोई लिंक अपने ब्लॉग में देंगें या राजभाषा विभाग के वेब साईट में यह सुविधा उपलब्ध करने के लिए उचित पहल करेंगें।
साधुवाद सहित
आपका
विश्वजीत मजूमदार
हिन्दी प्राध्यापक ,
राजभाषा विभाग,हिशियो,
दुर्गापुर केंद्रदूरभाष- 9474549347

Sep 11, 2009

गूगल टूल बार से स्वत: अनुवाद

अब आप गूगल टूल बार से अपने वेब पेज /वेबसाइट का स्वत: अनुवाद प्राप्त कर सकते हैं। टूल बार के टूल्स से ऐसी व्यवस्था की जा सकती है कि यदि आप किसी ऐसे वेब पेज़ को खोल रहे हैं जो आपकी भाषा से भिन्न है तो टूल बार द्वारा वह स्वत: ही आपकी भाषा में अनुदित हो जाएगा। उदाहरण के लिए यदि आपने अपनी भाषा हिंदी चुनी है और आप किसी ऐसी वेबसाइट को देख रहे हैं जो अंग्रेज़ी या फ्रेंच में है तो टूल बार स्वत: ही उसके सभी पृष्ठों को हिंदी में अनुदित कर दिखाने लगता है। किंतु pdf फाइल्स इससे अप्रभावी रहती हैं। नीचे CISF की वेबसाइट का गूगल टूल बार द्वारा स्वत: किया हुआ अनुवाद दिया गया है। यह मशीनी अनुवाद है और सेकेंड्स में अपने आप होता चला जाता है। यह लगभग अस्सी प्रतिशत तक सही भी कहा जा सकता है। आप भी इसे जरूर परख कर देखें।

मुख्यमंत्री की ओर से संदेश
63 स्वतंत्रता दिवस, 2009 के अवसर पर मैं हार्दिक बधाई देता हूं और सभी अधिकारियों और केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के लोगों और उनके परिवारों के सदस्यों को शुभकामनाएं.
आज पवित्र स्मरण का दिन है. यह आत्मनिरीक्षण का क्षण है. हम केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के सभी शहीदों जो राष्ट्र की सेवा में अपने प्राणों का बलिदान दिया था के प्रति हार्दिक आभार प्रदान करते हैं. उनकी शहादत की स्मृति हमारे दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेगा. उनके बलिदानों को हमेशा हमें प्रेरणा देगा.
हमें इस अवसर पर चलो, राष्ट्र के प्रति हमारी वचनबद्धता पुन: पुष्टि की और अपने कर्तव्यों का पालन अधिक समर्पण और भक्ति के साथ एक सुरक्षित भारत प्रदान करते हैं.
जय हिन्द.
एन आर दास
महानिदेशक, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल

विजयवाड़ा से श्री हितेंद्र धूमाल

आदरणीय मलिक साहब

आपके और श्रीमती प्रतिभा मलिक द्वारा प्रस्तुत "हिंदी सबके लिए" साइट का अवलोकन किया। हिंदी भाषा की उन्नति के लिए जो कर गुजरने की आपकी तमन्ना थी, उसका सार्थक परिणाम आपकी इस साइट में पूरी तरह से सामने आया है। मैं जहां तक समझता हूं, हिंदी भाषा, साहित्य, और इनसे जुड़ी समग्र गतिविधियों को पूरी तरह से एक साथ प्रस्तुत कर जो समग्रता और सहजता आपने प्रदान की है, वह अतुलनीय है। ऎसा लगता है सभी भाषायी धाराओं को आपने हिंदी की नद में समाहित कर दिया है। आपके इस क्रांतिकारी कदम से अब तो एक ही विकल्प रह जाता है कि अगर आपको हिंदी से संबधित कुछ भी जानना हो तो आपको केवल "हिंदी सबके लिए" ही क्लिक करना पड़ेगा।
हिंदी के क्षेत्र में मंच पर खड़े होकर बड़े-बड़े लोगों को बड़ी-बड़ी बातें करते हुए मैंने बहुदा देखा है, लेकिन मंच से उतरने के पश्चात वास्तविकता के धरातल पर उन्हें ही जो कि वाकई में कुछ कर गुजरने में सक्षम होते हैं, अपनी कही गईं बातों से पलटते हुए भी देखा है.. पर ऎसे बिरले लोग भी होते हैं जो अपनी सक्षमता से भी बढकर सभी चुनौतियों को स्वीकार कर यथार्थता के धरातल पर रहकर अपना सर्वस्व हिंदी की सेवा में तर्पण कर देते है, और ऎसा ही एक व्यक्त्तित्व मलिकजी आपका हैं। मैं अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे ऎसे ही एक व्यक्तित्व के साथ काम करते हुए बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। दो पंक्त्तियां आपको समर्पित करना चाहूंगा-
जमाने ने दी है ठोकरें हमें यारों
पर फिर भी शिकस्त हमें कबूल नहीं

कहते है हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला अवश्य होती है, पर यह आपका सौभाग्य है मलिक जी कि वो महिला आपके पीछे नहीं बल्कि आपके कदमों से कदम मिलाकर चल रही है। निसंदेह इस प्रस्तुति के श्रेय की वास्तविक हकदार वे ही हैं।
साइट की सामग्री के साथ ही इसकी प्रस्तुति एकदम सहज, सरल और अत्यंत आकर्षक है। मेरा विश्वास है कि अत्यंत अल्प समय में ही यह प्रत्येक हिंदी प्रेमी की पहली पसंद बन जाएगी।
ससम्मान
हितेन्द्र धूमाल
उपमुख्य अधिकारी-राजभाषा
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, विजयवाडा

Sep 10, 2009

आज ब्लॉग की छुट्टी है.

चाहते हुए भी आज कुछ भी नहीं लिखा जा सका... कारण कुछ भी नहीं बस थोड़ी सी ज्यादा व्यस्तता या थकान ... तो आज इसे छुट्टी ही मान लिया जाए.

Sep 9, 2009

कंप्यूटर के बारे में हिंदी में सामान्य जानकारी

यूँ ही भटकते हुए हमें एक ब्लॉग का पता चला जिसमें कंप्यूटर के बारे में बड़ी अच्छी जानकारी सरल हिंदी में दी गई है। हम आपको सिर्फ़ link दे रहे हैं । उपयोगी लगे तो देख सकते हैं -

हिंदी माध्यम से अंग्रेज़ी सीखें

आप सोच रहे होंगे कि हिंदी सिखाते-सिखाते हम अंग्रेज़ी सिखाने के पागलपन के शिकार कैसे हो गए!! सच ये है कि हमारे एक मित्र थे M.A. English हिंदी माध्यम से ...आज अचानक उनकी हमें बड़ी याद आई इसलिए सोचा उनकी याद में भी क्यों न कुछ हो जाए -
Learn English through hindi medium, just click the link below-

learning English through hindi/

(BBC के सौजन्य से )

थोड़ी सी संस्कृत भी हो जाए Let us learn SANSKRIT also

कुछ मित्रों का कहना है कि देवनागरी की सही आधारशिला संस्कृत से ही स्थापित की जा सकती है, इसलिए हिंदी के लिए थोड़ी सी संस्कृत की पृष्ठभूमि भी होनी चाहिए। तो देर किस बात की ?? आइए थोड़ी सी संस्कृत भी सीखी जाए-
Let us learn a little SANSKRIT also... Just click the link below
Lessons

(acharya.iitm.ac.in के सौजन्य से )

Sep 8, 2009

लक्षद्वीप की सैर - बस कुछ ही दिनों में .

क्या आप भी लक्षद्वीप को पोर्ट ब्लेयर का हिस्सा समझते हैं याकि कोचिन को चीन का कोई शहर? शायद नहीं। जो भी हो बहुत जल्दी हम आपको कोचिन से लक्षद्वीप ले चलेंगे। कोचिन केरल की व्यावसायिक राजधानी कही जा सकती है । इसे एरणाकुलम के नाम से भी जाना जाता है। पोर्ट ब्लेयर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का सचिवालय है और वहाँ मद्रास, कोलकाता या विशाखापत्तनम से जाया जा सकता है । समुद्र के रास्ते से यानी जलयान या शिप से आपको लगभग तीन दिन और तीन रातों का समुद्री सफर करना होता है जबकि हवाई मार्ग से मात्र दो घंटे में यह यात्रा पूरी हो जाती है। अंडमान की यात्रा पर अगर जा रहे हैं तो राधा नगर बीच जरूर जाएँ। यह हैवलोक द्वीप में है और हमारे देश का शायद सबसे खूबसूरत समुद्र का किनारा/ बीच है।

लेकिन लक्षद्वीप जाने के लिए आपको केरल की राह ही जाना होगा। यूँ तो कार्गो शिप कालीकट से भी जाते हैं मगर यात्रियों के लिए कोचिन हार्बर से ही शिप मिलता है। शिप से लक्षद्वीप के छत्तीस में से कुल आबाद दस द्वीपों की काम चलाऊ यात्रा तीन दिन और तीन रातों में पूरी हो जाती है। आजकल कोचिन से किंगफिशर एयरलाइन्स को उड़ान भी उपलब्ध है जो आपको अगत्ती द्वीप तक पहुंचती है और मात्र सवा-डेढ़ घंटे में।

...जाएँ तो बंगारम द्वीप जरूर देखें। यह द्वीप विशेष रूप से पर्यटकों के लिए विकसित किया गया है। समुद्र में उबलती हुई चांदी और अप्सराओं का नृत्य... मगर यह सब अभी नहीं कुछ दिनों में ...

आप तैयार रहिए हमारे साथ लक्षद्वीप की सैर के लिए ..बस कुछ ही दिनों में ...क्योंकि वहाँ जाने के लिए परमिट की भी जरूरत होती है....

खेल-खेल में सीखें हिंदी

हिन्दी अभ्यास के लिए कुछ खेल उनके लिए जिन्होंने अभी-अभी शुरुआत की है।
Just click the link below for practicing Hindi through games-

Hindi language learning games

(digitaldialects के सौजन्य से )

Sep 7, 2009

मेरे गुरु...८ समापन किस्त

वो मावस वाली होली

-अजय मलिक

कलौंदा हमारे गाँव से करीब पांच किलोमीटर पड़ता था। कक्षा पांच की परीक्षा जो एक तरह की बोर्ड की परीक्षा जैसी थी एक और गाँव में हुई। गेसूपुर...यही नाम था उस गाँव का। हमारे प्रधानाध्यापक थे श्री नानक चंद शर्मा. यह संयोग ही था कि वे मेरे पिताजी के भी प्राथमिक शिक्षक रहे थे। जब बीस बरस बाद मैं स्कूल जाने लायक हुआ तो फिर से उनका तबादला छांयसा यानी हमारे गाँव में हो गया. स्कूल का पहला दिन ...चार लड़के हाथ-पैर पकड़ कर हवा में लटकाकर लाए थे। मैं था कि हाय-हाय कर चीख रहा था... आंसुओं की गंगा-जमना तो बह ही रही थी।
मास्टर जी ने कहा- "चुप हो जाओ।"
मैं चुप हो गया। उनका रुआब ही कुछ ऐसा था। सुबकियां फिर भी जारी रहीं। एक लचकदार डंडी (डंडे की छोटी बहन) जो रोज सुबह ताज़ा-ताज़ा मंगाई जाती थी...कट्ठे की। मार उतनी नहीं पड़ती थी पर मार का डर ऐसा कि बुदका-तख्ती-कलम सब टकाटक। शाम को छुट्टी से पहले गिनती-पहाड़ों का दौर। पूरी क्लास गोल-गोल बैठ जाती और फिर पूरी ताकत से हर किसी को चिल्लाना होता था- एकीकाई-दोईकाई... दसेक्धाइन (दस -एक-दहायीं)। आज भी उन दिनों की दो-दूनी-चार हो या फिर नाथ शंभु धनु भंजनिहारा...दिमाग पर अमिट स्याही से छपे हैं।
गाँव से कलौंदा, छठी कक्षा में रोज पांच किमी जाना और फिर इतना ही पैदल वापिस आना। बरसात के दिनों में रौह (हल्की सी बाढ़) आ जाती तो कभी-कभी गर्दन तक पानी से भी निकल कर जाना होता। किताब-कापी-कपड़े सब बस्ते में और बस्ता ऊपर उठे हुए हाथों में।
बरसात की सबसे मजेदार बात भरपेट जामुन खाने से जुड़ी होती थी। रौह के इलाके से निकलकर स्यामा के बाग़ जिसमें जामुन के पेड़ों की भरमार थी खूब जामुन खाए और इकट्ठे किए जाते। महीनों तक जीभ की जामुनी रंगत बरकरार रहती। जामुन के पेड़ की कमजोर शाखों पर चढ़कर हीरे की तरह चमकते जामुनों की लालसा में एक-आध बार हाथ-पैर भी टूटे मगर जामुनों का स्वाद गिरकर भी कहाँ संभलने देता था।
माँ देशी घी के पराँठे (जिन्हें उन दिनों हम लोग परामठे कहते थे) या लोनी घी से सराबोर मोटी-मोटी रोटियाँ बाँध देती थी। कभी-कभी छौंकी गई हरी मिर्चें...क्या तो मज़ेदार लगता था वह सब। अमीरों की कल्पना ऐसी कि ...उनके पास तो बहुत सारा घी होता होगा ...वे तो रोटियाँ घी की मटकी में डाल देते होंगे।
स्वतंत्र भारत इंटर कॉलेज, कलौंदा में एक दिन हमारे हिंदी अध्यापक श्री महेंद्र भारद्वाज जी शायद किसी से झगड़ कर आए थे । इसी तनाव में उन्होंने पूरी क्लास में से एक को छोड़कर बाकी सब को मुर्गा बनाकर जो डंडा बजाना शुरू किया तो नज़ारा कुरुक्षेत्र के मैदान की तरह नज़र आया। दुर्योधन बैठा डरता रहा और सारे पांडव चित कर दिए गए। इसी बीच एक और गुरुदेव पंडित नारायण दत्त शर्मा जी उस रणभूमि की ओर से गुजरे। हम शहीदों की चीत्कार सुनकर पूछ बैठे -"अरे मेहंदर , क्या हुआ?"
भारद्वाज जी बोले-" इन सब को ये तक पता नहीं है कि होली मावस (अमावस्या) को पड़ती है और दिवाली पूरनमासी (पूर्णिमा) को..."
पंडित जी ने पहले तो अपना सिर धुन लिया मगर उसके बाद जो महेंद्र जी की क्लास ली वह मत पूछिए। शब्दों के तीरों से कितना तो छलनी किया था ...
कक्षा आठ में न जाने कैसे उत्तर-प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित एकीकृत छात्रवृत्ति परीक्षा में मैं भी पास हो गया। शायद हम सिर्फ दो लड़के पास हुए थे। दस रूपए महीने की छात्रवृत्ति क्या मिली कि समुचित गाइडेंस के अभाव में अपना दिमाग ही खराब हो गया। हम तो अब बहुत बड़े विद्वान बन चुके थे इसलिए पढ़ने-लिखने की जरूरत हमें बची ही नहीं थी। इस शेखचिल्लिपन का परिणाम यह हुआ कि नवीं कक्षा में प्रोमोटेड पास हुए।
दसवीं में फेल होने की पूरी-पूरी संभावनाएं बन चुकी थीं मगर...अब देखिए ये ज़िन्दगी भी कैसे अगर-मगर में उलझती-सुलझती चली जाती है... वे नए-नए आए थे, बेहद गरीब परिवार के होनहार बिरवान...रंग बिल्कुल चिक-चिक काला, नाटा कद बेहद कमजोर काया...उनका नाम था (श्री) कालूराम। उस समय तक जाति-पाति का ऐसा भेदभाव नहीं था। कालूराम जी हमारे नए गुरु जी थे गणित के। उनकी प्रेरणा और आशीर्वाद ही था जो दसवीं की परीक्षा छमाही तक पढ़कर उत्तीर्ण की जा सकी वरना तो आज भी हाथ में वही हल की मूठ होती और पैरों में बिवाइयां। उन्हें शत-शत प्रणाम।
विज्ञान के विद्यार्थी का हिंदी से जुड़ाव ...इ़सकी वज़ह रहे हमारे दसवीं के कक्षाध्यापक श्री हरपाल सिंह जी, उनसे सब डरते थे क्या छात्र-क्या अध्यापक । विशालकाय गठे हुए बदन के धोती कुर्ता पहनने वाले श्री हरपाल सिंह जी। रुतबा था उनका... एक साल में एक बार सबकी इकट्ठी पिटाई करने का उनका अनोखा सिद्धांत था। न काहू से दोस्ती-ना काहू से बैर । बड़े गुणी इंसान थे वे। हिंदी पढ़ाते और चाहते कि विद्यार्थी वो ना लिखें जो वे लिखाते हैं बल्कि सब अपना-अपना कुछ नया लिखें।
फिर ग्यारहवीं में हिंदी पढ़ाने आए उप-प्रधानाचार्य श्री उदयराज सिंह शिशोदिया जी। सच पूछा जाए तो हिंदी साहित्य से उनके प्रोत्साहन और सराहना ने ही जोड़ा। कुछ बेतुका सा लिख कर दिखाया था उन्हें और उनकी वाह-वाह ने मत पूछिए क्या तो रंग दिखाया। वह कॉलेज अनूठा था... वहां के जितने भी गुरुजनों के नाम गिनाऊं कम ही पड़ेंगे...भौतिकी पढ़ाने वाले श्री आनंदपाल जी हों या वनस्पति विज्ञान पढ़ाने वाले सक्सेना साहब या फिर प्रधानाचार्य श्री राजबीर सिंह शिशोदिया जी... हरि अनंत हरि कथा अनन्ता ...

हिंदी दिवस 2009

कई कार्यालयों से पूछताछ की गई है हिंदी दिवस के बारे में सरकारी आदेश क्या हैं? आपकी सुविधा के लिए हिंदी दिवस 2009 के बारे में सरकारी आदेशों के लिए नीचे link दिया जा रहा है -

हिंदी दिवस Hindi Divas – 14th September, 2009

(rajbhasha.gov.in के सौजन्य से)

Sep 6, 2009

प्रवीण पाठमाला एवं नोट्स कब तक !!

अगले कुछ सप्ताह में हम आपको विभिन्न भारतीय लिपियों में प्रवीण पाठमाला , सभी पाठों का अंग्रेज़ी अनुवाद एवं नोट्स उपलब्ध कराने की तैयारी में जुटे हैं। हमारे कई सहयोगी मित्र इस कार्य में लगे हुए हैं.

आगे क्या होगा??

बहुत ही शीघ्र हम दूरदराज क्षेत्रों में तैनात अपने मित्र हिन्दी प्राध्यापकों एवं हिन्दी का प्रशिक्षण पा रहे सरकारी कर्मचारियों की सुविधा के लिए प्रबोध के पुराने प्रश्नपत्र एवं आदर्श उत्तर प्रस्तुत करेंगे। साथ-साथ ऐसे संक्षिप्त नोट्स भी उपलब्ध कराएंगे जो उन्हें परीक्षा की तैयारी में सहायक सिद्ध होंगे.

Sep 5, 2009

मेरे गुरु...7

वो बारहवीं वाले मेरे गुरुजन
-अजय मलिक

मेरठ कॉलेज मेरठ में यह विचित्र घटना घटी थी। कारण में नहीं जानता, उन्होंने मेरे पिताजी के सेना से सेवानिवृत्ति के प्रमाण-पत्र को अवैध ठहरा दिया था। 1983 में वे शिक्षा संकाय के अध्यक्ष थे और शायद ......के रहने वाले थे। मेरी जगह उन्होंने किसे प्रवेश दिया यह भी अब मुझे याद नहीं है। कुल मिलाकर उन्होंने मेरिट से मेरा नाम निकाल दिया था। अन्याय के विरूद्व आवाज़ उठाने का सही तरीका मैं नहीं जानता था। पिताजी ने कई जगह पत्र आदि लिखे थे कुछ ज़वाब वगैरा भी आए थे...
उनकी अन्यायपूर्ण जिद को झेलकर मैं कॉलेज के मुख्य द्वार पर आ गया था। वहां मज़मा जैसा कुछ लगा था। एक साधू या संत या पता नहीं कौन बैठे थे और उनके चारों ओर बीस-पच्चीस युवक खड़े थे। मैं भी भीड़ का हिस्सा बनकर खडा हो गया। दिसम्बर का महीना था इसलिए झुंड में खड़े होकर राहत ही महसूस हुई।
संत महाराज एक अठन्नी में भविष्य से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे। एक छोटी सी पर्ची पर सवाल लिखा जाता और उसी पर्ची पर साधू महाराज जवाब लिख देते। खीझ खाया हुआ शरारती मन साधू महाराज को को झटका देने को कुलांचे भरने लगा। बी एड के दाखिले समाप्त हो चुके थे इसलिए सबसे बेतुका सवाल इसी विषय से जुड़ा पूछना अच्छा लगा। मैंने पर्ची पर लिखा- "क्या इस सत्र में बी एड में दाखिला मिलेगा?"
जवाब वही मिला जिसकी मुझे आशा थी।
उनहोंने लिखा- " अवश्य मिलेगा।"
मैं अपने तौर पर साधू महाराज को हरा चुका था। इस जीत की ख़ुशी में संकाय अध्यक्ष से मिली कडुवाहट थोडी कम हो गई थी ।
लौटा तो फिर गाँव का वही घर-वही घेर...वही खेत, वही कुंडीवाला कुँआ...
इस घटना के लगभग एक माह बाद उस दिन छब्बीस जनवरी यानी गणतंत्र दिवस की छुट्टी थी। साधू महाराज और बी एड दोनों ही को मैं पूरी तरह भुला चुका था, इसके सिवाय कोई अन्य विकल्प भी नहीं था। पचास पैसे ठगने का खेल ही तो खेला था साधू जी महाराज ने...
छब्बीस जनवरी को डाकखाने की भी छुट्टी रहती है, चिट्ठी-पत्री सब बंद। दोपहर बाद करीब चार बजे एक लड़का आया और एक लिफाफा मुझे देकर बोला- सुरेशपाल मास्टर जी ने आपको आज ही देने के लिए कहा था। लिफाफे में देवेन्द्र की चिट्ठी थी-जिसमें लिखा था- "हर हाल में सत्ताईस जनवरी को सुबह आठ बजे से पहले खुर्जा पहुँचना है। तुम्हारा नाम बी एड की दूसरी लिस्ट में सबसे पहला है मगर हैड आफ डिपार्टमेंट दूसरे नंबर पर एक लड़की रेखा को दाखिला देना चाहते हैं, इसीलिए चौबीस तारीख को यह लिस्ट सूचना पट पर लगा दी गई है। मेरे पास तुम्हारा पता नहीं है। मैं यह पत्र श्री सुरेश पाल सिंह जी को इस उम्मीद में लिख रहा हूँ कि यदि तुम्हारी किस्मत अच्छी हुई तो यह पत्र किसी तरह तुम तक जरूर पहुँच जाएगा।"
यह चमत्कार ही था कि चौबीस जनवरी को साधारण डाक से भेजा गया वह पत्र पच्चीस को कलौंदा गाँव में सुरेश पाल जी को मिला और छब्बीस को एन सी सी परेड के लिए मेरे गाँव से गए उस लड़के को मास्टर जी ने पूरी हिफाजत से मुझ तक पहुँचाने का बदोबस्त कर दिया। यदि उस दिन गुरुदेव ने कृपा नहीं की होती तो क्या मैं बी एड कर पाता? -क्या के पी अग्रवाल साहब से मिल पाता...!!
मैं उस अज्ञात साधू- महात्मा के पचास पैसे के एवज में मिले चमत्कारी आशीर्वाद के प्रति नतमस्तक हो गया। उनकी शक्ल-सूरत तक विस्मृत हो चुकी थी। सुरेश पाल जी से मिले मुझे तब पांच साल हो चुके थे। वे जीव विज्ञान पढ़ाते थे और गज़ब का हारमोनियम बजाते थे। प्रार्थना के समय उनके हारमोनियम के सुरों के साथ जब -"वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्तव्य मार्ग पर डट जाएं ..." के सामूहिक स्वर उभरते तो पूरा वातावरण ईश्वरमय हो उठता.
(जारी )

हिन्दी कविताएँ, साक्षात्कार और भी बहुत कुछ है यहाँ..

ये दो link हैं नीचे जो Voluntary History Group के हैं, इन पर हिंदी में कई महान हिंदी कवियों की
कविताएँ, कुछ महान हस्तियों के हिंदी में जीवंत इन्टरव्यू उपलब्ध हैं। कैसा लगेगा जोनीवाकर, सुनील दत्त, देव आनंद, वहीदा रहमान या हृषिकेश मुखर्जी को सुनना या नीरज की आवाज में-एक मज़हब ऐसा... सुनना। श्रोताओं के लिए बहु कुछ है इन links पर -
ज़रा इसे आजमाकर देखिए... click here खूब लडी मरदानी वो तो झाँसी वाली रानी थी; सुभद्रा कुमारी चौहान; स्वरः कैलाश बुधवार


दोनों links नीचे दिए जा रहे हैं -
http://www.nrifm.com/
http://www.historytalking.com/
(Voluntary History Group के सौजन्य से )

शिक्षक दिवस पर सभी गुरुजनों को प्रणाम.

मेरे गुरु की 7 वीं कड़ी काफी बड़ी होनी थी मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था। रात जब रूटीन की वनवास के दौर की , एक सौ साठ किमी की स्कूटर यात्रा से लौटा और कुछ खा-पीकर एक अंगुली की टाइपिंग शुरू की तो बिजली जी चली गईं । फ़िर उन्होंने लाख मिन्नतों के बावजूद भी आने से मना कर दिया और मैं अपने गुरुजनों को सही से प्रणाम करने से वंचित रह गया।
अब सभी गुरुजनों को इसी रूप में प्रणाम करते हुए क्षमा प्रार्थना के साथ विदा लेता हूँ । इस आशा के साथ कि शाम या देर रात तक मैं अपनी सातवीं कड़ी देने में शायद सफल हो पाऊँगा।
-अजय मलिक

Sep 4, 2009

कंप्यूटर के समाधान -2

कुछ दिन से आप जब भी CD/DVD ड्राइव में डिस्क डालकर ट्रे अन्दर करते हैं विन्डोज़ रिस्टार्ट होने लगती है?
सुझाव: SMPS यानी पावर सप्लाई यूनिट (जिसमें से बहुत सारे तार निकलकर मदरबोर्ड में विभिन्न स्थानों पर फिट किए जाते हैं ) बदल कर देखें।

( यह सब स्वयं अपने रिस्क पर करें)

कंप्यूटर के समाधान -1

आपका कंप्यूटर कल ठीक-ठाक काम कर रहा था मगर आज चालू ही नहीं हो रहा है। कल तो कोई परेशानी नहीं थी , जब शट-डाउन किया तब तो बिल्कुल ठीक था। अब क्या करें?
सुझाव : विद्युत सप्लाई बंद करें । केबनेट के पीछे बाईं ओर के कवर पर लगे पेच खोले। सावधानी से कवर निकालें। RAM की पट्टियां सावधानी पूर्वक दोनों ओर लगी क्लिप्स को हटाकर निकालें और जो हिस्सा खांचे में लगा था उसे रबड़ (पेंसिल का लिखा मिटाने वाली ) से दोनों ओर से साफ़ करें और फ़िर से खाँचें में लगाकर धीरे से दबाएँ। ऐसा करने से क्लिप्स स्वत: ही फिक्स हो जाएंगी । कवर लगाकर पेच कसें। विद्युत प्रवाह जारी करें। सीपीयू को चालू करें। उम्मीद है आपका कंप्यूटर फ़िर से चालू हो जाएगा.
(यह सब अपने स्वयं के रिस्क पर करें )

हिन्दी दिवस पर माननीय गृह मंत्री जी का संदेश

कृपया नीचे दिए link को click करें -

हिंदी दिवस के अवसर पर गृह मंत्री का संदेश

(rajbhasha.gov.in के सौजन्य से )

हिंदी प्राध्यापकों के लिए स्थानान्तरण नीति

कृपया नीचे दिए link को click करें -

केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान/हिंदी शिक्षण योजना में कार्यरत अधिकारियों (उप निदेशक, सहायक निदेशक एवं हिंदी प्राध्यापक) की स्थानांतरण नीति

(rajbhasha.nic.in के सौजन्य से )

एक और बोलने वाला अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोश

यह अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोश bab.la in द्वारा ऑनलाइन निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। उपयोगो है और अंग्रेज़ी शब्द के उच्चारण यानी ऑडियो के साथ है। नीचे दिए गए लिंक्स आकारादि क्रम से शब्दार्थ खोज में सहायक होंगे।
One more useful English-Hindi dictionary devoloped by bab.la in is available free of cost online and also having the audio of the English word. Just try this also by clicking the alphabets LINK below-

A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z

(bab.la in के सौजन्य से )